यदि शराब दुकान बंद हो जाए तो छत्तीसगढ़ स्वर्ग बन जाएगा : दीपक चन्द्राकर

राजिम ,18 फरवरी  छत्तीसगढ़ के जाने-माने के लोक संगीत के पुरोधा दीपक चंद्राकर लोक अर्जुंदा की प्रस्तुति शुक्रवार को राजिम के मुख्यमंच पर हुई। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से विशेष रूप से चर्चा करते हुए अपनी बात बेबाक रूप से रखी। उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में कई महत्वपूर्ण बात उल्लेखित किया। उन्होंने कहा कि अगर छत्तीसगढ़ में शराब दुकान नहीं होता तो यहां स्वर्ग जैसा रहता है। मैं तो कहता हूं कि शराब दुकान अभी बंद कर दे तो स्वर्ग बन जाएगा। क्योंकि यहां के लोग सीधे सरल और बहुत विश्वास करने वाले हैं। छल कपट नहीं जानते। कला में मेहनत के सवाल पर चंद्राकर ने कहा कि कला के क्षेत्र में यदि जुनून है तो उसे आगे बढ़ने कोई नहीं रोक सकता है, काबिलियत हो तो पैसा कहीं से हो मिलता है, क्योंकि डालडा कहीं भी मिल जाएगा शुद्ध घी को लोग खोजते आते हैं। कला में आकर्षण रहता है आदमी को अपनी ओर खींच लेता है, जब तक सोच नहीं रहेगा कला में जादू नहीं लाया जा सकता।

उनके द्वारा बेहतरीन कलाकारों को दिशानिर्देश देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सब ऊपर वाला कराता है हम सब केवल माध्यम हैं। कहा कि मैं 69 साल का जरूर हूं लेकिन इच्छा शक्ति मजबूत है। मैं सरलता से जिंदगी जीता हूं आज के समय में सरल होना कठिन है। आज भी मैं 14 घंटे रिहर्सल करता हूं। राजिम पुन्नी मेला में व्यवस्था के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी सही मंच मिला है, इस साल की व्यवस्था काबिले तारीफ है। उन्होंने अपने कलाकारों के लिए कला व्यवस्था की जानकारी देते हुए बताया कि मैंने ढाई एकड़ में ट्रेनिंग सेंटर खोला है जिसमें रहना खाना सब फ्री में होता है। बीते 32 साल से पूरे तेवर के साथ चल रहा है।



अपनी प्रसिद्धि के सवाल पर दीपक चन्द्राकर ने कहा कि काम से नाम बनता है, कलाकारों में दम हो तो लोग स्वयं होकर पूछने आते हैं। अस्वस्थता के बाद भी अभी भी 14 घंटे रिहर्सल होता है। हमारे बैनर में बने कलाकार पूरे छत्तीसगढ़ में प्रस्तुति दे रहे हैं। वहां नृत्य गायन कमेडी सभी विधा सिखाया जाता है। अपने परिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताते हुए कहा कि मैं एक मालगुजार का बेटा हूं सौ एकड़ का जमीन है लेकिन मेरे पास जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं बचा। पिताजी ने मेरे कलाकारी को देखते हुए सभी जमीन जायदाद नातियों के नाम में कर दिए। यकीन मानिए मुझे काफी संतुष्टि मिली मैं निश्चिंत बिना टेंशन के जीवन जीता हूं और जब तक मेरी सांस हैं कला के प्रति समर्पित ही रहूंगा। मेरा एक ही लक्ष्य है कला संस्कृति के लिए काम करना। अपने शिक्षा के बारे में उन्होंने कहा कि मैं एमकॉम किया हूं दो बार नौकरी भी लगा लेकिन उसे छोड़कर मैं कला के क्षेत्र में लग गया। क्योंकि शुरू से गीत संगीत कला के प्रति मेरा झुकाव बना रहा।

मैंने अभाव में रिहर्सल कर आज इस मुकाम पर पहुंचा। 22 साल की उम्र में इस क्षेत्र में कदम रखा और 1 दिन भी ऐसा नहीं जब मैं कला के प्रति समर्पित ही नहीं रहा हूं। छत्तीसगढ़ की कला को हबीब तनवीर ने ही विदेशों तक पहुंचाया है। वर्तमान समय में गीत संगीत की हड़ताल के विषय में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी कला संगीत में जो प्रदूषण है उसे लोग ही दूर करेंगे। जब तक वो खराब नहीं रहेगा तो हमें कौन अच्छा कहेगा। कहा कि दुख का कारण पैसा ही है, वक्त में पैसा नहीं उनका व्यवहार साथ देता है। उन्होंने बताया कि कलाकारों को तराशने मैं गांव के गरीब कलाकारों को चुन कर लाता हूं इन लोगों पर सस्ते लोकप्रियता की संस्कृति आने नहीं देता। इन लोगों को प्योर शुद्ध घी बनाते हैं जिनकी पहनावा बोली भाषा सब छत्तीसगढ़ी रहता है।



सोशल मीडिया में नए-नए गानों की लोकप्रियता के विषय में कहा कि नया गाना आंधी तूफान है जिसकी जिंदगी ज्यादा दिन की नहीं रहता पुराने गाने जो पारंपरिक गीत हैं वह ऑक्सीजन है जो हमें जिंदगी देता है। कला में गुणवत्ता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकगीत के आधार पर मैंने फिल्म भी बनाया है गम्मतिहा गोपीचंदा सावरी आदि है। कहा कि पहले के कलाकार पैसे के लिए नहीं आत्मीय आनंद के लिए काम करते थे। ईमानदारी से मेहनत करो तो ऊपर वाले देता ही है।