प्राकृतिक खेती के अभियान को अपनाना आवश्यक : शिवराज सिंह चौहान

इंदौर ,14 फरवरी  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि धरती के स्वास्थ्य की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। श्री चौहान ने इंदौर में कृषि कार्यसमूह (एडब्ल्यूजी) की जी20 की पहली कृषि प्रतिनिधियों की बैठक (एडीएम) के अपने उद्घाटन भाषण में कहा, उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग ने पृथ्वी के स्वास्थ्य और मिट्टी की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसका मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।

श्री चौहान ने पर्यावरण के अनुकूल तकनीक अपनाने पर बल देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किये गये प्राकृतिक खेती के अभियान को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा, भारत सदियों से यह मानता आया है कि प्रकृति का दोहन नहीं होना चाहिए, हमें केवल प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करना चाहिए। प्राकृतिक संतुलन के लिए इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों का अस्तित्व भी जरूरी है। श्री चौहान ने कहा कि लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्य सुरक्षा आज विश्व के सामने एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

उन्होंने कहा, दुनिया की केवल 12 प्रतिशत भूमि कृषि के लिए उपयुक्त है। वर्ष 2030 तक खाद्यान्न की मांग 345 मिलियन टन होगी, जबकि वर्ष 2000 में यह मांग 192 मिलियन टन थी। स्पष्ट है कि न तो कृषि भूमि बढ़ने वाली है और न ही हमारे प्राकृतिक संसाधन बढ़ने वाले हैं। श्री चौहान ने कहा कि हमें कृषि भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए भी समुचित प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा, इसके लिए मशीनीकरण, डिजिटलाइजेशन, नई तकनीक और नए बीजों के उपयोग को लगातार बढ़ावा देना होगा।

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श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक दशक से मध्य प्रदेश में कृषि विकास दर में लगातार सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, इस प्रदेश ने देश की खाद्यान्न संबंधी जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह प्रदेश तिलहन के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर रहा है। देश में सोया के उत्पादन में मध्य प्रदेश की 60 प्रतिशत भागीदारी है। मध्य प्रदेश देश में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक है। हमने प्रदेश में उत्पादन बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किया है।

इसमें सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने का कार्य उल्लेखनीय है। वर्ष 2003 में प्रदेश में मात्र 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई थी। इसे बढ़ाकर अब हम 45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य 65 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का है। प्रदेश में उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीक और अच्छे बीजों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।