कोरिया ,13 फरवरी । प्रदेश के प्रथम वित्त मंत्री, कोरिया कुमार के नाम से विख्यात डॉ रामचंद्र सिंहदेव की जयंती अवसर पर 13 फरवरी को मुख्यमंत्री बघेल ने बैकुंठपुर के घड़ी चौक में स्थापित डॉ सिंहदेव की प्रतिमा का अनावरण किया। आज यह चौक कोरिया कुमार को समर्पित किया गया है। मुख्यमंत्री बघेल ने इस अवसर पर जिले में विभिन्न विकास कार्यों का भूमिपूजन किया, जिसमें नगरपालिका परिषद बैकुंठपुर हेतु 7.63 करोड़, नगरपालिका परिषद शिवपुर-चरचा हेतु 2.86 करोड़ के विभिन्न विकास कार्यों सहित 50 लाख की लागत के बैकुण्ठपुर सर्व आदिवासी समाज सामुदायिक भवन सहित कुल 10.99 करोड़ के विकास कार्यों का भूमिपूजन शामिल है।
मुख्यमंत्री बघेल ने इस अवसर पर डॉ रामचंद्र सिंहदेव के साथ बीते राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन के अनुभव साझा किए। उन्होंने डॉ सिंहदेव के बहुआयामी व्यक्तित्व का परिचय दिया। कुशल राजनीतिज्ञ, बेहतरीन जलप्रबंधन, कल्याणकारी योजना, आर्थिकी के उन्नत स्वरूपों पर निरन्तर चिंतन, जनहित के मुद्दों पर उनकी विशेष सक्रियता के साथ ही फोटोग्राफी, पुस्तक लेखन में उनकी अभिरुचि के बारे में उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने उन्हें सादर नमन किया। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत, गृह, लोक निर्माण एवं जिले के प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम, संसदीय सचिव एवं बैकुंठपुर विधायक श्रीमती अंबिका सिंहदेव, सविप्रा उपाध्यक्ष एवं भरतपुर-सोनहत विधायक गुलाब कमरो एवं संचालक, सीजीएमएससी व मनेन्द्रगढ़ विधायक डॉ विनय जायसवाल सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक एवं बड़ी संख्या में आम जन शामिल रहे।
कुशल राजनीतिज्ञ, जलप्रबंधन में विशेषज्ञता और फोटोग्राफी में गहन रुचि डॉ सिंहदेव की पहचान
’’कोरिया कुमार’’ के नाम से विख्यात स्व. डॉ. रामचंद्र सिंहदेव का जन्म जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में 13 फरवरी 1930 को हुआ। डॉ सिंहदेव 1967 से 2000 तक अविभाजित मध्यप्रदेश में विधानसभा के सदस्य, मंत्री और राज्य योजना मंडल के उपाध्यक्ष रहे। मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बनने के पश्चात वे राज्य के पहले वित्तमंत्री बने। उनकी स्कूली शिक्षा राजकुमार कॉलेज रायपुर और उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई, जहां से उन्होंने रसायनशास्त्र में एमएससी और समाजशास्त्र में पीएचडी की उपाधियां प्राप्त कीं। उनकी अभिरुचि फोटोग्राफी, पुस्तक लेखन में रही। सिंचाई, योजना, आर्थिकी के उन्नत स्वरूपों पर निरन्तर चिंतन, जनहित के मुद्दों पर आयोजित विभिन्न राष्ट्रीय सेमीनार में सक्रिय हिस्सेदारी रही। जर्मनी स्थित अंतरराष्ट्रीय संस्था के द्वारा कुशल जलप्रबंधन हेतु उन्हें सम्मानित भी किया गया।
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