KORBA : तुमान फीडर के दर्जनों गांव अंधेरे में डूबे, विधायक के गृह ग्रामवासियों सहित 20 हजार से अधिक की आबादी को करना पड़ेगा रतजगा…लोगों में आक्रोश

कोरबा -बरपाली, 11 फरवरी । पिछले 10 घंटे से करतला विकासखण्ड के तुमान फीडर के दर्जनों गांव अंधेरे में डूबे हुए हैं। गर्मी की आहट शुरू होते ही विद्युत विभाग की लचर व्यवस्थाओं का आलम शुरू हो गया। बरपाली विद्युत वितरण केंद्र के अंतर्गत आने वाले तुमान फीडर के दो दर्जन से अधिक गांव में पिछले 8 घण्टे से बिजली बंद है। जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा कॉल रिसीव नहीं करने की वजह से बिजली बंद होने के कारणों का पता नहीं चल सका है।

देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महती योगदान देने वाला उर्जानगरी कोरबा की जनता को हर साल लचर विद्युत वितरण व्यवस्था का खामियाजा भुगतना पड़ता है । गर्मी की आहट शुरू होते ही एक बार फिर ग्रामीण अंचल में लोगों की तकलीफें शुरू हो गई है। बरपाली विद्युत वितरण केंद्र के अंतर्गत आने वाले तुमान सब स्टेशन के दो दर्जन से अधिक गांव पिछले 8 घण्टे से अंधेरे में डूबे हैं। सूत्रों के अनुसार 33 केवी चाम्पा से मेंटेनेंस एवं अन्य तकनीकी खामियों को दुरुस्त करने बिजली बंद थी। लेकिन यह खराबी शाम तक दुरुस्त कर ली गई थी। लेकिन इसके बावजूद आधे घण्टे के लिए भी पिछले 8 घण्टे से 20 हजार से अधिक की आबादी हलाकान है। इसकी पुख्ता जानकारी लेने बरपाली के जेई संदीप मानिकपुरी जी के मोबाईल न.94061 52352 में संपर्क किया गया। कॉल रिसीव नहीं करने की वजह से वास्तविक व उनका पक्ष नहीं आ सका है। लोगों में विद्युत वितरण केंद्र बरपाली के अधिकारियों के इस गैर जिम्मेदाराना कार्य व्यवहार की वजह से हर साल नाराजगी रहती है। बावजूद इसके डीई इस फीडर में निर्बाध विद्युत व्यवस्था को लेकर संजीदा नहीं रहे।

इन गांव के ग्रामीणों को करना पड़ेगा रतजगा

खबर लिखे जाने शाम 9 बजे तक तुमान फीडर के पूर्व सांसद स्व. डॉ.बंशीलाल महतो के गृह ग्राम पंचायत सलिहाभांठा ,रामपुर विधायक ननकीराम कंवर के गृह ग्राम बंधवाभांठा ,पकरिया , सरईडीह ,तुमान ,चिकनीपाली ,पठियापाली ,सुपातराई,ढोंढातराई ,लबेद ,सहित दर्जनों गांव अंधेरे में डूबे हैं। बरपाली फ़ीडर के भी दर्जनों ग्राम शाम 6 बजे अंधेरे में डूबे थे। बहरहाल लाईट नहीं आने पर ग्रामीणों को रतजगा करना पड़ेगा।

अभी 9 बजे लाइट आई है। जिसमे लोगों का आक्रोश काम हुआ है। अब देखना यह है कि मेंटेंटेन्स के नाम पर ग्रामीणों को कब तक ऐसी अव्यवस्था से जूझना पड़ेगा?