डॉ. शाहिद अली हो सकते है केटीयू के नए कुलसचिव

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दायर एक याचिका के अनुसार प्रदेश के एकमात्र पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलसचिव का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। उच्च न्यायालय में लगे याचिका के अनुसार कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलसचिव 60 साल की आयु पूरी होने के बाद रजिस्ट्रार अपने पद पर जमे हुए हैं। जबकि, कार्य परिषद और राज्य शासन को भी उन्हें सेवावृद्धि देने का अधिकार नहीं है। इस मामले में सीनियर प्रोफेसर की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। HC ने राज्य शासन और कुलपति को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। याचिका में यह भी स्पष्ट किया गया है कि विश्वविद्यालय की वर्तमान व्यवस्था को बनाने के लिए कुलसचिव का प्रभार विश्वविद्यालय के वरिष्ठम आचार्य या उपाचार्य को प्रदान की जाए। कुलसचिव का पद रिक्त होने पर कुलपति को विश्वविद्यालय के वरिष्ठम उपाचार्य को कुलसचिव पद देने की शक्तियां है।

अनियमित कर्मचारियों को किया बाहर
वर्षों से विश्वविद्यालय में कार्य कर रहे अनियमित कर्मचारियों ने बताया कि कुलसचिव आनंद शंकर बहादुर ने बिना किसी कारण से उन्हें नौकरी से निकाल दिया और प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से कार्य करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। कर्मचारियों ने बताया की इस विषय पर वे हाई कोर्ट से स्टे ला चुके है। उसके बावजूद दोबारा प्लेसमेंट के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार कार्य कर रहा है और उपस्थिति रजिस्टर में भी हस्ताक्षर नहीं करने दिया जा रहा। अपने मांगों को लेकर यूनिवर्सिटी के दो दर्जन से अधिक अनियमित कर्मचारी नौ फ़रवरी से धरने पर बैठने की तैयारी कर रहे है। अपनी परेशानी को लेकर कर्मचारी श्रम विभाग, रायपुर कलेक्टर और सीएम को भी ज्ञापन सौप चुके है।

मूलभूत जरूरतों के अभाव से जूझ रहा विश्वविद्यालय
कोरोना काल समाप्त होने के बाद ऑफलाइन क्लासेस शुरू हो चुकी हैं। यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे छात्र- छात्राओँ से बातचीत में सामने आया कि विश्वविद्यालय अपने स्थापना के 12 साल बाद भी मूलभूत जरूरतों के अभाव से जूझ रहा है। सभी डिपार्टमेंट में शिक्षकों की कमी है साथ ही पीने के पानी से लेकर वाशरूम, पार्किंग जैसी कई समस्या निरंतर बनी हुई है। छात्रों ने बताया एक साल से कोई बड़ा सेमीनार या कार्यक्रम नहीं हुआ जिससे उन्हें देश के बड़े हस्तियों से मिलने का मौका मिले।

कुलसचिव बनने की दौड़ में डॉ. शाहिद अली का नाम सबसे आगे
याचिकाकर्ता का कहना है कुलसचिव पद पर आनंद शंकर बहादुर को विश्वविद्यालय में नियुक्ति राज्य शासन ने दी थी। वे असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में 60 साल के बाद राज्य शासन में ही कार्य कर सकते हैं। विश्वविद्यालय में उन्हें काम करने का अधिकार नहीं है। सेवानिवृति के आदेश के अभाव में भी व्यक्ति को स्वयं अपना कार्यालय छोड़ देना चाहिए और इसकी सूचना संस्थान को देना चाहिए। इन सब विवादों के बीच अब नए कुलसचिव की नियुक्ति की चर्चा है। कयास लगाए जा रहे है कि नए रजिस्ट्रार कौन होगा वहीँ शिक्षाविदों की मानें तो अनुभव और वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर होने के कारण डॉ. शाहिद अली को पदभार दिया जा सकता है।

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