कोच्चि ,24 जनवरी । केरल सरकार ने सोमवार को केरल हाई कोर्ट को बताया है कि उन्होंने पिछले साल हुई हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में प्रतिबंधित संगठन PFI के 248 कार्यकर्ताओं की संपत्ति कुर्क की है। इससे पहले हाई कोर्ट ने वसूली में देरी होने पर नाराजगी जताई थी।
इससे पहले राज्य सरकार ने दिसंबर में कोर्ट को आश्वासन दिया था कि 15 जनवरी तक वसूली पूरी कर ली जाएगी। इस पर हाई कोर्ट ने 18 जनवरी को राज्य सरकार को निर्देश दिए कि पीएफआई की हड़ताल के दौरान हुए नुकसान की वसूली करके 23 जनवरी तक जिले वार रिपोर्ट दी जाए। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि वसूली कार्यवाही से पहले नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं है।
न्यायालय के निर्देशानुसार राज्य के राजस्व विभाग ने प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के गिरफ्तार नेताओं की संपत्तियां कुर्क करने के लिए शुक्रवार को राज्यव्यापी अभियान शुरू किया। हाई कोर्ट के समक्ष आज दायर की गई कार्रवाई रिपोर्ट में गृह विभाग ने जानकारी दी है कि राज्य के मलप्पुरम जिले से सर्वाधिक वसूली की गई है। राज्य सरकार ने यह भी बताया कि जिले में कुर्क की गई संपत्तियों के संबंध में कुछ आपत्तियां प्राप्त हुई हैं और इनकी जांच की जाएगी।
विपक्षी दलों ने सरकार पर लगाए आरोप
रविवार को केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी यूडीएफ की सहयोगी पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने आरोप लगाया कि प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सरकार आईयूएमएल के कार्यकर्ताओं को परेशान कर रही है और हड़ताल के दौरान हिंसा में शामिल असली दोषियों को बचाया जा रहा है।
हिंसा में सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति का नुकसान
प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के नेताओं पर आरोप है कि संगठन के कार्यालयों पर देश भर में हुई छापेमारी और प्रतिबंध के बाद संगठन द्वारा बुलाई गई हड़ताल में हिंसा हुई और सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। राज्य सरकार द्वारा कोर्ट को दी गई जानकारी के अनुसार, हड़ताल के दौरान 86 लाख रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ। इसके अलावा हिंसा के दौरान 16 लाख रुपए की निजी संपत्ति का नुकसान हुआ। पुलिस ने इस संबंध में कुल 361 मामले दर्ज किए और 2,674 लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
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