छत्तीसगढ़ के आकांक्षी जिला कोरबा में जल जीवन मिशन में 300 करोड़ के भष्ट्राचार की शिकायत पहुंची केंद्र सरकार तक, इस युवा भाजपा नेता ने जल शक्ति मंत्री को की शिकायत… पढ़े पूरी खबर…

कोरबा, 23 जनवरी । आकांक्षी जिला कोरबा में जल जीवन मिशन के कार्यों में व्याप्त भ्रष्टाचार की परतें परत दर परत खुलने लगी हैं। कोरबा में 300 करोड़ की लागत से स्वीकृत कार्यों में भष्ट्राचार की शिकायत केंद्र सरकार तक पहुंच गई है। भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के जिला संयोजक मो.न्याज नूर आरबी ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री भारत सरकार को पत्र लिखकर कार्यों में गुणवत्ता ,तकनीकी मापदण्डों की अनदेखी सहित अफसरों पर भारी भरकम कमीशन मांगे जाने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय टीम गठित कर जांच की मांग कर खलबली मचा दी है।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री भारत सरकार गजेंद्र सिंह शेखावत को लिखे पत्र के माध्यम से भाजपा जिला सहकारिता प्रकोष्ठ के संयोजक मो .न्याज नूर आरबी ने उल्लेख किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा अनुरूप जल जीवन मिशन लागू करने का उद्देश्य 2024 तक देश के प्रत्येक परिवार में नल का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना है । इसके लिए केंद्र शासन ने पीएचई विभाग को करोड़ों रुपयों का बजट उपलब्ध करवाया है।जल जीवन मिशन के अंतर्गत राज्य को पानी की कमी वाले क्षेत्रों, गुणवत्ता प्रभावित गांवों, आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बाहुल्य गांवों और सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) गांवों को भी प्राथमिकता देने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि 7 अगस्त 2021 को रायपुर में हुए समीक्षा बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को आश्वासन दिया था कि राज्य जल जीवन मिशन लागू करने की गति बढ़ाने तथा सितंबर 2023 तक जिला कोरबा समेत छत्तीसगढ़ के शेष 39.59 लाख परिवारों को नल के पानी की आपूर्ति करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। जिसके फलस्वरूप केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री शेखावत ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि हर घर जल लक्ष्य हासिल करने में राज्य को पूरा समर्थन दिया जाएगा।

लेकिन बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि देश के 110 पिछड़े(आकांक्षी) जिलों में शामिल आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में इस केंद्र प्रवर्तित योजना से तकरीबन 300 करोड़ का बजट आने के बाद भी विभागीय अफसरों एवं ठेकेदारों की जुगलबंदी में यह भष्ट्राचार का मिशन बन गया है।
जल जीवन मिशन उनके लिए रेवड़ी बन गया है। ठेकेदार घटिया स्तर की पाइप लाइन का उपयोग गांवों में जलापूर्ति हेतु पानी की लाइन बिछाने के लिए कर रहे हैं। कई गांवों में पीतल की बजाए प्लास्टिक का नोजल लगाए जा रहे हैं। इसी तरह टोंटियां भी घटिया क्वालिटी की हैं। घरों की ओर दिए गए नल कनेक्शनों को भी सीमेंट में गाड़े जाने की बजाय पाइप का टुकड़ा लगाकर औपचारिकताएँ पूरी कर दी गई हैं। ग्राम मोरगा में 1 करोड़ 57 लाख की योजना, जवाली में 2 करोड़ 11 लाख, ढुरेना में 2 करोड़ 20 लाख एवं कोरबी में 2 करोड़ 87 लाख के हिसाब से कुल 4 कार्य 8 करोड़ 77 लाख रुपयों की लागत से एक ही फर्म ज्योति इलेक्ट्रॉनिक्स कर रही है।


मोरगा में नवर्निर्मित टँकी में लीकेज भी आ रही है, अन्य जगह भी संरचना टूटे फूटे हैं, कई मोहल्ले छुटे हुए हैं, गुणवत्ता एवं मानक अनुरूप पाईप लाइन नहीं बिछाई गई है। ग्राम रामपुर, मदनपुर में पाइपलाइन जमीन के ऊपर से ही दिखाई दे रहे हैं एवं इसके क्षतिग्रस्त होने की भी पूर्ण संभावना है। नलों के चेम्बर भी गुणवत्ताहीन बनाए गए हैं। पुरानी योजनाओं के पाइप लाइन से जोड़े जाने की जन शिकायतें हैं। ग्रामीणों द्वारा समय समय पर पीएचई विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई है लेकिन आज पर्यन्त कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सभी योजनाओं की समयावधि 6 माह पूर्व ही समाप्त हो चुकी है, इसके बावजूद योजनाएं आधी अधूरी हैं। ग्रामीणों को एक बूंद पानी नसीब नहीं हो पाया है। ग्रामीण पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। ठेकेदारों पर विभागीय स्तर पर न तो अधिकारियों का नियंत्रण है और न ही जिला प्रशासन का डर। जबकि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने कैबिनेट मंत्री को आश्वासन दिया था कि राज्य नियमित और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित गुणवत्ता की पर्याप्त मात्रा में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सुनिश्चित नल जल आपूर्ति करने के लिए गहन मासिक समीक्षा करेगा।
हैरानी की बात तो यह है कि स्थानीय समाचार पत्रों, सोशल मीडिया में इससे जुड़ी समाचार प्रकाशन के बाद भी शासन प्रशासन ने कोई जांच, कार्रवाई नहीं की। इससे यह स्पष्ट हो चुका है कि शासन प्रशासन की मौन स्वीकृति से जल जीवन मिशन के करोड़ों रुपए के कार्यों में बंदरबाट करने की ठेकेदारों को खुली छूट मिली हुई है। केंद्र शासन की मंशा धरी की धरी रह गई है। करोड़ों करोड़ रुपयों के खर्च होने के बावजूद केंद्रीय योजनाओं का आम जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है। जनता में केंद्र प्रवर्तित योजनाओं केंद्र शासन के प्रति अविश्वास की भावना पनप रही है।
सर्वहित के लिए कार्य करने वाले प्रधानमंत्री जी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के विजन का अनुसरण करते हुए मिशन का नारा है कोई नहीं छूटे और गांव में प्रत्येक परिवार को नल जल कनेक्शन प्रदान किया जाना चाहिए। जल जीवन मिशन में नीचे से ऊपर का दृष्टिकोण अपनाया गया है जहां समुदाय नियोजन से क्रियान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राज्य सरकार को यह लक्ष्य हासिल करने के लिए ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी)/ पानी समिति को मजबूत करने, अगले पांच वर्षों के लिए ग्राम कार्य योजना विकसित करने, ग्रामीण समुदायों को साथ में लेने और समर्थन देने के लिए राज्य एजेंसियों(आईएसए) को शामिल करने तथा लोगों में जागरूकता लाने जैसी समर्थनकारी गतिविधियां चलानी चाहिए।

टेंडर शेटल का आरोप 👇

महोदय आपको अवगत कराना चाहूंगा कि किस तरह एक एक फर्म को दो या दो से अधिक काम टेंडर शेटल कर दिए जाने की चर्चाएं हैं। इनमें वित्तीय वर्ष 2021-22 तक जारी हुए प्रशासकीय स्वीकृति आदेशों को ही देखें तो 7 ऐसे फर्म हैं जिन्हें 4 से 5 काम मिले हैं। इनमें धर्मेंद्र कुमार जायसवाल, सुरेंद्र प्रसाद जायसवाल, रितिवॉटर सॉल्यूशन, अदिति बोरवेल्स, विनोद अग्रवाल एवं ज्योति इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। बात करें फर्म धर्मेंद्र कुमार जायसवाल की तो पता नहीं पाली ब्लॉक में उनकी किस्मत इस कदर मेहरबान रही या कहीं से कुछ और माया चली कि इन्हें ग्राम नोनबिर्रा, नुनेरा, बसीबार, बोईदा, कोडार, गोपालपुर एवं मुरली के तहत कुल 7 काम मिल गए । जल जीवन मिशन के इन सातों कार्यों की कुल लागत 6 करोड़ 36 लाख 95 हजार की है। बात करें सुरेंद्र प्रसाद जायसवाल की तो इस फर्म को कुल 5 कार्य मिले हैं। इनमें माँगामार, सिरली, मदनपुर, कपोट एवं केराकछार शामिल हैं। इन पांचों कार्यों की कुल लागत 7 करोड़ 71 लाख 4 हजार की है। रितिवॉटर सॉल्यूशन को 2 कार्य मिले हैं। इनमें चोटिया, बनिया, जलके, कोरबी, परला सहित 11 गांव की समूह जल प्रदाय धनरास हुंकरा सहित 5 गांव की संयुक्त जल प्रदाय का कार्य मिला है। जिसकी लागत 2 करोड़ 92 लाख 3 हजार रुपए की है। अदिति बोरवेल्स को कुल 5 काम मिले हैं, इनमें भिलाईबाजार, फुलसरी, फरसवानी शामिल है, जिन्हें कुल 3 करोड़ 53 लाख 82 हजार का काम दिया गया है। विनोद अग्रवाल को जोरहाडबरी, बकसाही कुल 79 लाख 43 हजार, ओम साईं एसोसिएट्स को बरपाली खूंटाकूडा से दो कार्य कुल 1 करोड़ 65 लाख 73 हजार का काम दिया गया। वहीं मेसर्स ज्योति इलेक्ट्रॉनिक्स को कुल सर्वाधिक 8 करोड़ 77 लाख के 4 योजनाओं का काम दिया गया है। इनमें मोरगा, जवाली, ढुरेना एवं कोरबी शामिल है।

केंद्रीय जांच एजेंसियों से जांच की मांग ,भुगतान रोकने कहा 👇

      व्यापक लोकहित में  समस्त कार्यों की उच्च स्तरीय केंद्रीय टीम भेजकर जांच कराते हुए इस प्रकरण के संबंध में सभी कार्यवाही/जांच की प्रति/ उपलब्ध कराने की मांग की है। साथ ही  जांच तक उक्त सभी कार्यों के भुगतान पर तत्काल रोक लगाई जाने का अनुरोध किया गया है।शिकायत की प्रतिलिपि   केंद्रीय  गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह , केंद्रीय  ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग मंत्री गिरिराज सिंह, सुश्री सरोज पांडेय , उपराज्यपाल राज्यसभा व पालक सांसद, कोरबा लोकसभा,प्रदेश अध्यक्ष भाजपा अरुण साव,सांसद बिलासपुर लोकसभा, प्रदेशाध्यक्ष भाजपा ,नेता प्रतिपक्ष  नारायण चंदेल ,अपर सचिव सह निदेशक  राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, नई दिल्ली ,

सचिव ,जल शक्ति मंत्रालय/पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, छ.ग. शासन रायपुर एवं कलेक्टर कोरबा को दी गई है।

इन कार्यों की जांच की मांग 👇

👉करतला ब्लॉक के सर्व ग्राम रामपुर, उमरेली, बोतली, नवापारा, सेन्द्रीपाली, सुखरीकला, केरवाद्वारी, बेहरचुआ, कनकी, बंधवाभांठा, पठियापाली, कोथारी की जांच की मांग की गई है।

👉कोरबा ब्लॉक से सर्व ग्राम फुलसरी, कोरकोमा, जिल्गा, लबेद, बेंदरकोना, नकटीखार, बासीन, तिलकेजा, जिल्गा, मदनपुर एवं गोढ़ी शामिल है।

👉कटघोरा ब्लॉक से सर्व ग्राम जवाली, ढुरेना, भिलाईबाजार, कसईपाली, धवलपुर की जांच की मांग की गई है।

👉 पाली ब्लॉक से सर्व ग्राम कोरबी, केराकछार, मदनपुर, कपोट, सिरली, मुरली, माँगामार, हरनमुड़ी, सैला, गोपालपुर, कोडार, बोईदा, बसीबार, नुनेरा, नोनबिर्रा की जांच होगी।

👉 पोंडी उपरोड़ा ब्लॉक में सर्व ग्राम मोरगा, लखनपुर, चोटिया सहित 15 गांव की संयुक्त योजना शामिल है।

5 प्रतिशत लेने के बाद ही दिया कार्यादेश

जन शिकायत अनुसार उक्त 5 ब्लॉक/विकासखंडों के जल प्रदाय योजना की जांच के साथ-साथ उक्त कार्यों के निविदा खुलने की तारीख से कई माह बाद विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों ने कार्यादेश की प्रति देने में विलंब करते हुए विभिन्न ठेकेदारों से 5% की राशि(ब्लैकमनी) स्वरूप पहले से ही प्राप्त कर ली । जिसकी जांच कर भ्रष्टाचार को उजागर करना आवश्यक है ।