शहडोल, 23 जनवरी । जिले के एक युवा इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी और अब कारपेंटरी में करियर बना रहे हैं। यहां हम बात कर रहे हैं कि जिले के गोहपारु विकास खंड के देवरी नंबर दो गांव के केदार साहू की। जो वर्तमान में सिर्फ कारपेंंटरी का काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं वे हस्तशिल्प विभाग की योजनाओं से भी जुड़ रहे हैं। उनका कहना है कि उनका लक्ष्य कारपेंटरी से अपनी आमदनी बढ़ना है। केदार के मुताबिक नोएडा स्थित एक कंपनी में इंजीनियर के पद पर थे, लेकिन उन्होंने 2015 में वह नौकरी छोड़ दी और गांव वापस आकर अपने पिता के साथ कारपेंटरी करने की सोची। यहीं से उन्होंने अपनी कला को लकड़ी में उतारना शुरू किया। इसके बाद अब शहर में आर्डर पर काम करके हर महीने तीस हजार रुपये शुद्ध कमा रहे हैं।
विलुप्त हो रही जिले की आदिवासी कलाकृतियों को लकड़ी में आकार देकर संरक्षित कर रहे हैं। हस्तशिल्प विभाग के लिए आदिवासी कला कृतियों के कई आकार तैयार किए है, जिन्हें स्टेट अवार्ड के लिए चयनित किया गया है। केदार के मुताबिक कारपेंटरी का काम करने से जेब में हर वक्त पैसा रहता है। कारपेंटरी में भी आधुनिक तकनीक से काम किया जाय तो अच्छी डिमांड है। हार्डवेयर इंजीनियरिंग करने का इसमें भी फायदा मिला है।केदार अब दूसरे युवाओं को भी कारपेंटरी लिए प्रेरित करते हैं। वहीं हस्तशिल्प विभाग के अधिकारी भी केदार के काम की सराहना कर रहे हैं।
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पिता नहीं चाहते थे कि बेटा लकड़ी छीले
केदार ने बताया कि उन्होंने अपने पिता से ही कारपेंटरी सीखी है, लेकिन पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा यह काम करें। पिता कहते थे कि तुम लकड़ी छीलने का काम नहीं करोंगे, इसलिए पढ़ाया लिखाया और नौकरी के लिए नोएडा भेज दिया। केदार के पिता ने हस्तशिल्प विभाग की मदद से पहले से ही गांव में खुद का वर्कशाप तैयार कर लिया है और एक अच्छे कारपेंटर के नाम से जाने जाते है। इन्हें मध्यप्रदेश का सर्वश्रेष्ठ शिल्पी अवार्ड भी मिल चुका है। केदार कहते है कि वह अपने पिता की कारपेंटरी को अमर करना चाहते हैं। इस काम में कोई बुराई नहीं है। नौकारी से यह अपना काम बहुत बढ़िया है।आज के युवा नौकरी के चक्कर में कारपेंटरी जैसी कला से दूर हो रहे है,जबकि यह खुद का अपना काम है।इससे युवाओं को जुड़ना चाहिए।
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जिले के देवरी नंबर दो गांव के केदार साहू बीकाम और हार्डवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद कारपेंटरी कर रहे हैं। नोएडा से इंजीनियरिंग की नौकारी छोड़कर अपने गांव आ गए हैं। अभी हमारे विभाग के लिए आदिवासी कलाकृति तैयार किया है,जिसे स्टेट एवार्ड लिए भेजा गया है।अन्य युवाओं को भी ऐसी कला पर काम करना चाहिए।
- एस.के पांडेय, प्रभारी अधिकारी हस्तशिल्प विभाग शहडोल
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