दुर्ग ,20 जनवरी I एग फर्टिलाइजेशन से लेकर प्रेगनेंट होने का सफर हर महिला के लिए मुश्किलों से भरा खुबसुरत अनुभव होता है, लेकिन श्रीमती सुशीला को गर्भावस्था के दौरान एक्टॉपिक प्रेगनेंसी समस्या का सामना करना पड़ा। अचानक पेट दर्द उठने पर जब वह दुर्ग जिला चिकित्सालय के डॉक्टर के पास अपने गर्भावस्था इलाज के लिए पहुंची तो डॉक्टरों ने उसे लक्षणों के आधार पर एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी से ग्रसित डायग्नोस किया। डॉक्टर स्मिता ने बताया कि मरीज को गंभीन पेट दर्द और रक्त स्त्राव हो रही थी, जिसके तुरंत पश्चात् विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा फालो चेकअप कराकर ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया।
उन्होंने बताया कि एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी सामान्यतः 50 में से 01 महिला को होती है। इसमें फर्टिललाइज एग गर्भाशय से नहीं जुड़ता है। बल्कि वह फैलोपियन ट्यूब, एबेमिनल कैविटी या गर्भाशय ग्रीवा से जाकर जुड़ जाता है। इस केस में फैलोपियन ट्यूब भी क्षतिग्रस्त हो गया था जिसके चलते इसकी जटिलता बढ़ गई थी, परंतु जिला चिकित्सालय के मेडिकल टीम द्वारा इस केस में उत्कृष्टता पूर्ण प्रदर्शन कर सफलता हासिल की गई। मेडिकल टीम में डॉ. रिम्पल, डॉ. राखी और बसंत चौरसिया (एनेस्थेसिस्ट) अपना-अपना योगदान दिया।
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