जब तक रिपोर्ट आईतब तक बंट चुका था अमानक खाद

रायगढ़,15 जनवरी   खाद कंपनियां बहुत बड़े स्तर के घपले में लिप्त हैं। किसानों को दोहरी चोट पहुंचाकर ये कंपनियां करोड़ों कमा रही हैं। खरीफ सीजन 2022 में पांच कंपनियों के उर्वरक अमानक पाए गए। हालांकि जब तक लैब रिपोर्ट आई तब तक खाद किसानों के खेतों में डाला जा चुका था। उर्वरक कंपनियां मार्कफेड और कृषि विभाग के माध्यम से समितियों और गोदामों में भंडारण करती हैं।

अनिवार्य प्रक्रिया के कृषि विभाग अलग-अलग सेंटरों से खाद के सैम्पल लेकर जांच करने रायपुर लैब में भेजता है। दरअसल खाद का गुणवत्ता परीक्षण कर यह देखा जाता है कि फसल को कितना लाभ पहुंचेगा। किसानों के साथ तब धोखा होता है जब पूरी कीमत देने के बाद भी अमानक खाद मिलता है। खरीफ और रबी 2022 में पांच कंपनियों के खाद अमानक पाए गए हैं।

कृषि विभाग ने मां दुर्गा कृषि सेवा केंद्र लैलूंगा से राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर लिमिटेड व नेशनल फर्टिलाइजरर्स लिमिटेड के यूरिया, मार्कफेड धरमजयगढ़, धौराभांठा समिति से मध्यभारत एग्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड का सुपर फास्फेट, मार्कफेड गोदाम घरघोड़ा से कृष्णा फोस्केम लिमिटेड और संतोष ट्रेडर्स खरसिया से इंडियन पोटाश लिमिटेड के अमोनियम फास्फेट के सैम्पल लिए।

इसका परीक्षण करने रायपुर लैब भेजा गया। हैरानी की बात है कि जब तक रिपोर्ट आई तब तक वही खाद किसानों को बांटी जा चुकी थी। किसानों ने भी खाद को खेतों में उपसोग कर लिया था। किसानों को तो मालूम ही नहीं कि जो खाद उन्हें पूरे दामों में बेची गई है, वह अमानक है।

लैब रिपोर्ट में राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर लिमिटेड, नेशनल फर्टिलाइजरर्स लिमिटेड, मध्यभारत एग्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड, इंडियन पोटाश लिमिटेड और कृष्णा फोस्केम लिमिटेड के उर्वरक को अमानक घोषित कर दिया गया। कृषि विभाग ने समय पर सैम्पल तो भेज दिए थे, लेकिन रिपोर्ट आने में 15 दिन से लेकर दो महीने तक का समय लग गया। इस दौरान अमानक खाद का वितरण भी हो गया।