जानलेवा प्रदूषण और बेहिसाब सड़क हादसों के विरोध में एक दिवसीय प्रदर्शन

रायगढ़,13 जनवरी  जिले में बढ़ते अद्यौगिक प्रदूषण और दुर्घटनाओं के आंकड़ों को लेकर महात्मा गांधी प्रतिमा के सामने पर्यावरण बचाव  संघर्ष समिति के बैनर तले एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। धरने में बैठे पर्यावरण प्रेमियों ने रायगढ़ वासियों से अनुरोध है कि अधिक से अधिक संख्या में हिस्सेदारी कर रायगढ़ को प्रदूषण और दुर्घटना मुक्त शहर और जिला बनाने में सहयोग प्रदान करें।

धरने में बैठे सुविख्यात पर्यावरण प्रेमी राजेश त्रिपाठी (जनचेतना) बीते एक दशक से जिले के अंधे औद्योगीकरण की वजह से रायगढ़ की फिजा इतनी जहरीली हो चुकी है कि लोगों की जान का गंभीर खतरा बढ़ गया है। क्योंकि जिले में औद्योगिक विकास के साथ-साथ प्रदूषण और हादसों का स्तर भी काफी बढ़ा है.जिसे रोकने के लिए जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि आगे आने को तैयार नहीं हैं।  हाल के दिनों में आपने देखा होगा कि जिला प्रदूषण जनित बीमारियों से तेजी से ग्रसित हो रहा है।

त्रिपाठी कहते है कि जिले में लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा छोटे बड़े उद्योग और दर्जनों कोयला खदान स्थिति हैं। कोयला उत्खनन और परिवहन ने भी यहां के पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है। जिले के जल के स्रोत भी काफी प्रदूषित हो चुके है। एक मात्र जीवन दायनी केलो नदी का पानी उपयोग के लायक नहीं रह गया है। फ्लाई एस के अवैध भंडारण में आम जन जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है। इसे रोकने में असफल रहे जिला प्रशासन के संरक्षण में क्षेत्र ने औद्योगिक विस्तार के लिए लगातार जनसुनवाईयां हो रही है। उद्योग पति पर्यावरण के नियमों को तार-तार कर अनुमति प्राप्त कर रहे हैं। छोटे झाड़ के जंगल के नाम पर जंगलों की अवैध कटाई जारी है। इतना ही जिले की जर्जर हो चुकी सडकों में भारी वाहनों से लगातार हो रहे कोल ट्रांसपोर्टेशन की प्रतिस्पर्धा ने सड़क हादसों की संख्या में बेतहासा वृद्धि की है। 

रायगढ़ जिले में एयर क्वालिटी इंडेक्स में रियल टाइम पाल्यूशन की रैंकिंग 363 तक पहुंच गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले की आबोहवा में सल्फर और पीएम 10 की मात्रा काफी अधिक है जो कि सेहत के लिए खतरनाक है। लेकिन फिर भी इस दिशा में पर्यावरण संरक्षण विभाग कोई पहल नहीं कर पा रहा है। औद्योगिक हब कहे जाने वाले रायगढ़ जिले में प्रदूषण का अध्यन कर रही आईआईटी खडगपुर के एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट कहती है कि जिले के तमनार, तराईमाल, जामगांव, चुनचुना जैसे इलाकों में पाल्यूशन की मात्रा लगातार बढ रही है। इन इलाकों में पीएम 10 की मात्रा सामान्य से अधिक पाई गई है।

हवा में सल्फर की मात्रा भी अधिक पाई गई है। कई इंडस्ट्रियल इलाकों में नाइस पाल्यूशन की मात्रा भी 70 डेसिमल से भी अधिक पाई गई है। इन सब परिस्थितियों की वजह से क्षेत्र की स्थिति बेहद चिंताजनक है। जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगाए जाने की आवश्यकता है। आज की परस्थितियों में अगर हम आज नही जागे तो वाकई बहुत देर हो जाएगी। धरना स्थल से हमारी अपील है कि जिले के आम नागरिक अपना और अपने बच्चों का भविष्य बचाने के लिए सामने आए और प्रदूषण तथा हादसों के खिलाफ बड़ा आंदोलन तैयार करें। तब जाकर शासन_ प्रशासन हमारी स्मश्याओं को गंभीरता से लेगी।