महाराष्ट्र में इस समय हल्दी की खेती करने वाले किसानों को संकटों का सामना करना पड़ रहा हैं. राज्य में बदलते मौसम के कारण हल्दी की फसलों पर तेज़ी से करपा रोग का प्रकोप बढ़ रहा है. देश मे महाराष्ट्र राज्य हल्दी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. वहीं तेलंगाना में हल्दी का सर्वाधिक उत्पादन होता है. इस समय राज्य के वाशिम जिले में हल्दी उत्पादक किसान काफी संकट में हैं. जिले में सबसे ज्यादा फसलों का नुकसान हुआ है. हल्दी की फसल पर करपा रोग किसानों की खड़ी फसल को चौपट कर रहा है. प्रदेश में डेढ़ लाख हेक्टेयर से अधिक में हल्दी की फसल बोई जाती है, लेकिन बदलते मौसम के कारण हल्दी की फसल पर संकट मंडराने लगा है.
हल्दी उत्पादको की बढ़ी मुश्किलें
वाशिम जिले में 6 हजार 112 हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की फसल बोई गई है. पिछले कुछ समय से किसान हल्दी की फसल को नकदी फसल के रूप में आकर्षित कर रहे हैं. लेकिन पिछले 2 साल से बदलते मौसम के कारण हल्दी की फसल संकट में है. प्रदेश में पिछले 5 से 6 दिनों से प्रदेश के कई जिलों में कोहरे की मोटी चादर देखने को मिल रही है. इस कोहरे के कारण सभी रबी फसलें प्रभावित हो रही हैं. लेकिन हल्दी की फसल पर इसका ज्यादा असर पड़ता है. करकुमा रोग हल्दी पर लगने वाला फफूंद रोग है और अच्छी हरी दिखने वाली हल्दी की फसल के पत्ते अब मुडने लगे हैं. अब देखा जा रहा है कि इसका असर हल्दी के उत्पादन पर पड़ेगा.
हल्दी की फसल पर अतिवृष्टि का प्रभाव
मानसून सीजन की शुरुआत से ही भारी बारिश के कारण हल्दी की फसल पर असर दिखना शुरू हो गया था. किसानों ने कैसे भी कर बारिश और रासायनिक छिड़काव खाद से फसलों को बचाया. लेकिन पिछले कुछ दिनों से छाए बादल और घने कोहरे ने हल्दी की फसल को संकट में डाल दिया है. किसानों ने मांग शुरू कर दी है कि सरकार हल्दी किसानों को कुछ मदद करे.
नकदी फसल के रूप में हल्दी की अच्छी मांग है और अच्छे दाम मिल रहे हैं, किसान अब मसाला फसल के रूप में हल्दी का उत्पादन करने के लिए पारंपरिक फसलों को छोड़ रहे हैं. लेकिन अब हल्दी पर करपा रोग लगने से किसान काफी सहमे हुए हैं. किसान सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
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