श्री राम कथा त्याग करना सिखाती है: परम् पूज्य दीदी माँ मंदाकिनी

भिलाई ,09 जनवरी । नेहरू नगर में श्रीराम कथा के समापन दिवस पर डिप्टी कमिश्नर इनकमटैक्स आर पी पाली, श्वेता पाली ने कथा स्थल नेहरू नगर पहुंचकर परम् पूज्य माँ मंदाकिनी का स्वागत किये और उनका आशीर्वाद ग्रहण किये। श्रीराम कथा के अंतिम दिन अपने प्रवचन में परम् पूज्य दीदी माँ मंदाकिनी ने कहा कि त्रेतायुग में भी माँ थीं जिनका नाम कैकयी था जो अपने पुत्र को राज्य देना चाहती थी। द्वापरयुग में भी एक माँ थीं जिनका नाम गांधारी था वे भी अपने पुत्र दुर्योधन का पक्ष लेतीं थी। किन्तु क्या कारण है कि त्रेतायुग में भाई भाई का युद्ध नहीं हुआ और द्वापरयुग में भाई से भाई का युद्ध हुआ?

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परम् पूज्य माँ ने बताया कि दोनों युग में एक ही अंतर है और वह है त्याग, भरत जी में त्याग की भावना थी, भगवान राम के प्रति सेवा, भक्ति, आदर-सम्मान की भावना थी और भगवान राम की तो बात ही क्या, प्रभु का स्वभाव किसी को छोटा या निम्न समझने का नहीं था वे तो सभी को अपने बराबर ही समझते थे। यही कारण है कि त्रेतायुग में परिवार में युद्ध नहीं और द्वापरयुग में एक ही परिवार के होने के बाद भी युद्ध हुआ। इसका तात्पर्य यही है कि श्रीरामचरितमानस त्याग करना सिखाती है, जो व्यक्ति अपने अन्त:करण में त्याग की भावना रखता है उनके परिवार में कभी विवाद हो ही नहीं सकता।