वर्धा , 04 जनवरी । महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर ‘सावित्रीबाई फुले : जीवन दर्शन’ विषय पर व्याख्यान आयोजित हुआ। व्याख्यान में मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रामजी तिवारी ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने समाज के सामने परोपकार का उदाहरण प्रस्तुत किया। बाल विवाह, विधवा विवाह और सत्यशोधक समाज की स्थापना के उनके कार्य हमें उनकी निष्ठा, संकल्प और त्याग की सीख देते हैं। प्रो. तिवारी भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित आजादी का अमृत महोत्सव विशिष्ट व्याख्यानमाला के अंतर्गत दर्शन एवं संस्कृति विभाग की ओर से विश्वविद्यालय के महादेवी सभागार में मंगलवार, 3 जनवरी को आयोजित व्याख्यान में बतौर वक्ता संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने की। प्रो. तिवारी ने कहा कि सावित्रीबाई ने समाज में स्थापित रुढि़यां और अंधविश्वास को हटाने के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया। महिलाओं को शिक्षित कराने के लिए उनके कार्य हमेशा के लिए याद किए जाएंगे। वह हमेशा आदर्श बनी रहेंगी। प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट ने अपने वक्तव्य में कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में सावित्रीबाई के कार्य सभी के लिए प्रेरणा का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि अवसर मिले तो महिलाएं आगे बढ़ सकती हैं। उन्होंने महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले के सत्यशोधक समाज के कार्य को भी विस्तार से रखा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने कहा कि फुले दम्पति ने मनुष्यता के पक्ष में सत्यशोधन कर मनुष्यता का जयघोष किया। उन्होंने स्मरण दिलाया कि अठारहवीं शताब्दी में महिलाओं के लिए शिक्षा के द्वार खोलने वाली सावित्रीबाई का नाम पुणे विश्वविद्यालय को दिया गया, यह सावित्रीबाई के शिक्षा के प्रति गौरवशाली कार्य की ही देन है। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई के कार्य ने देश पर अलग प्रभाव डाला है।
कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन दर्शन एवं संस्कृति विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय ने किया। विभाग के अध्यक्ष डॉ. जयंत उपाध्याय ने स्वागत भाषण किया। भारत वंदना चंदन कुमार मिश्र ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप-दीपन, कुलगीत एवं सावित्रीबाई के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।
इस अवसर पर प्रो. अवधेश कुमार, प्रो. कृष्ण कुमार सिंह, प्रो. चतुर्भुज नाथ तिवारी, डॉ. रामानुज अस्थाना, डॉ. अशोक नाथ त्रिपाठी, डॉ. हरीश हुनगुंद, डॉ. उमेश कुमार सिंह, डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी, डॉ. रूपेश कुमार सिंह, डॉ. संदीप सपकाले, डॉ. मुन्नालाल गुप्ता, डॉ. शैलेश कदम, डॉ. जगदीश नारायण तिवारी, डॉ. वागीश राज शुक्ल, डॉ. श्रीनिकेत मिश्र, डॉ. रणंजय सिंह, बी. एस. मिरगे सहित अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।