जगदलपुर। छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना ने प्रदेश में एक नई आर्थिक-समाजिक क्रांति का आगाज किया है। बहुत कम समय में इस योजना ने अपनी महत्ता और सार्थकता साबित कर पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। 20 जुलाई 2020 को छत्तीसगढ़ शासन की ओर से गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया गया था, जिससे ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के गोपालक को आय का जरिया मिला है। अब तक बस्तर जिले में लगभग 1 लाख 92 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। गोबर विक्रेताओं को 02 करोड़ 57 लाख 38 हजार रुपए की राशि का भुगतान किया गया है।
गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोवर से बस्तर के गोठानों में महिला स्व सहायता समूहों की ओर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है। इसी क्रम में बस्तर जिला के विकासखंड बस्तर के ग्राम करमरी के गौठान में कार्यरत मां सरस्वती स्व सहायता समूह का गठन वर्ष 2020 में किया गया है। समूह का संचालन 15 सदस्यों की ओर से किया जा रहा है। गठन से अब तक समूह की ओर से 1438.78 क्विंटल गोबर से 449.20 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण कर विक्रय से राशि 01 लाख 45 हजार 990 रुपए की लाभ समूह को प्राप्त हुआ है। समूह की ओर से काजू संग्रहण का कार्य 02 एकड़ क्षेत्र में वर्ष 2021 से किया जा रहा है। जिससे 36 हजार रुपए की राशि लाभ हुआ। भविष्य में समूह की ओर से मछली पालन के लिए तालाब निर्माण कराया गया है, सब्जी उत्पादन के लिए ड्रिप लगाकर फसल ली जाने की तैयारी की जा रही है, जिससे समूह के आय में बढ़ोतरी होगी। आय और रोजगार के नए अवसर मिले है। गोधन न्याय योजना से समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है। साथ ही इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार व विकास के नए आयाम विकसित हो रहे है।
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