एजेंसी। ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में रविवार को भारतीयों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत बड़े पैमाने पर बाजरा उगा सकता है, जिसे दुनिया भर में भोजन की बढ़ती मांगों के समाधान के रूप में देखा जाएगा। जयशंकर ने कहा कि बाजरा पहले हमारे समाजों में सबसे अधिक प्रचलित था। इसे उगाने में बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है और यह कार्बन के अधिक अनुकूल है। आज दुनिया में भोजन की कमी को लेकर चिंता बनी हुई है, बाजरा इस समस्या से निपटने में कारगर साबित हो सकता है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में कहा कि चावल व गेहूं की तुलना में बाजरा कहीं अधिक स्वास्थ्य वर्धक होता है और इसे रोजाना खाया जाता है। दुनिया में भोजन की कमी को पूरा करने में बाजरा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
पूरे एशिया में बाजरा पारंपरिक भोजन
विदेश मंत्री ने कहा कि आज भारत में लगभग हर पांच किलो गेहूं पर एक किलो बाजरा उगाया जाता है। इस वक्त 130 से अधिक देशों में इसकी खेती होती है। बाजरा पूरे एशिया और अफ्रीका में आधे अरब से अधिक लोगों के लिए पारंपरिक भोजन माना जाता है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 1 जनवरी को घोषणा की है कि वह देश भर में बाजरा पर आधारित प्रचार गतिविधियों की एक सीरीज तैयार कर रही है, क्योंकि अब बाजरा का अंतरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईएम) शुरू हो गया है।
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G-20 बैठकों का एक अभिन्न हिस्सा है बाजरा
बता दें कि बाजरा जी-20 बैठकों का भी एक अभिन्न हिस्सा है। इसके तहत प्रतिनिधियों को इसे चखने, किसानों से मिलने और स्टार्ट-अप व एफपीओ के साथ संवादात्मक सत्रों के माध्यम से बाजरा को लेकर अनुभव प्रदान किया जाएगा। भारत ने इन दिनों बाजरा को प्राथमिकता दी है। सरकार ने इसको बढ़ावा देने के लिए बाजरा लंच का भी आयोजन किया। पहले 2018 को भारत सरकार द्वारा बाजरा का राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया था।
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