कोरबा ,01 जनवरी । सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिन्हा ने जारी एक बयान में बताया कि आजादी के बाद कोरबा में एशिया महादेश का सर्वाधिक कोयला उत्पादन करने वाला क्षेत्र तथा पूरे विश्व में सामरिक हथियारों में उपयोग आने वाले भारत अल्मुनियम कंपनी सहित देश के पावर सप्लाई में अग्रणी भूमिका निभाने वाले औद्योगिक क्षेत्र कोरबा का दुर्भाग्य ही है कि विकास के नाम पर जितने भी जनप्रतिनिधि हुए कोरबा के विकास पर कम अपने स्वार्थ सिद्धि में सजग देखे गये जिसके परिणाम स्वरूप अरबों रुपये के रूप में शासन को कर भुगतान करने वाला कोरबा आज देश में अत्यन पिछड़े हुए जिले की श्रेणी में रखा गया है।
यह कोरबा के लिए अत्यंत पीड़ा दायक और दुखद है इसके बावजूद हमारे जनप्रतिनिधि कोरबा को विकास के मुख्य धारा में जोड़ने के बजाय अपने निजी स्वार्थो के कारण कोरबा में प्रचुर खनिज संपदा व अरबो रुपये का कर भुगतान करने के बावजूद पीछड़ते बिछड़ते जा रहा है। आने वाले समय में न तो दीर्घकालीन योजना है और नहीं कोई विकास की रूपरेखा है , केवल निजी स्वार्थों के लिए कोई विकास होता भी है तो उसे अपने स्वार्थ के चश्मे से देखते रहते हैं ताकि व्यक्तिगत लाभ मिले । आम जनता से कोई लेना-देना, ऐसे जनप्रतिनिधियों का नहीं रहा है। यह कोरबा के लिए दुर्भाग्य है कि आने वाले समय में कोरबा की प्रगति के स्थान पर अवनति हो रही है।
ऐसा देखा जा रहा है कि अभी हाल ही में न्यू ट्रांसपोर्ट नगर स्थापित करने के लिए कुछ जनप्रतिनिधि व उनके समर्थकों द्वारा स्थान चयन को लेकर हाय तौबा मचाए हुए हैं। कोई संवैधानिक दायरा का हवाला दे रहा है, तो कोई जनता को धूल प्रदूषण से मुक्ति दिलाने का हवाला देकर अपने स्वार्थ सिद्धि करना चाहते हैं, जो अनुचित है। अगर क्षेत्र का विकास करना है तो प्रशासनिक दृष्टि से प्रशासन द्वारा नियमानुसार कोई भी विकास की रूपरेखा तैयार की जाती है तो सुझाव दे कर प्रस्तावित प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाया जाना चाहिए। ट्रांसपोर्ट नगर को लेकर कुछ जनप्रतिनिधि लोगों द्वारा हाय तोबा मचाना कि यहां हो,वहां ना हो य़ह परंपराकोरबाकेविकास के लिए घातक सिद्ध होगा,यहां रहे। इस खींचतान से न तो न्यू टीपी नगर का स्थापना होगा और नहीं जनता को राहत मिलने की उम्मीद दिखाई दे रही है ।
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