वायरल हेपेटाइटिस ए से हो जाता है लिवर को नुकसान, जानिए कैसे करें इससे बचाव

खराब लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों की वजह से कई बीमारियां बढ़ रही है. इनसे लोगों को काफी नुकसान भी हो रहा है. पिछले कुछ महीनों में, खसरा, डेंगू और यहां तक ​​कि वायरल हेपेटाइटिस ए (एचएवी) जैसे संक्रमण और संक्रामक रोगों में तेजी आई है. डॉक्टर बताते हैं किएचएवी या एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस ए को लिवर की सूजन भी कहा जाता है. जो आम तौर पर एक के संक्रमण के कारण होता है.

एचएवी से संबंधित लगभग 10-30% मामले बच्चों के होते हैं. हेपेटाइटिस ए एक आरएनए वायरस है, जिसका इनक्यूबेशन पीरियड औसतन 30 दिनों का होता है और कभी-कभी 49 दिनों तक भी बढ़ जाता है. दिल्ली में वरिष्ठ फिजिशियन और मेडिसिन के डॉक्टर अजय कुमार बताते हैं कि सामान्य हेपेटाइटिस छह साल से कम उम्र के लगभग 30% संक्रमित बच्चों में होता है, लेकिन ज्यादातर यह एक सीमित बीमारी है जहां लक्षण सिर्फ 2 सप्ताह तक बने रह सकते हैं. इसके विपरीत, एचएवी संक्रमण वाले बड़े बच्चे और वयस्क आमतौर पर कई हफ्तों तक रह सकते हैं.

इसके लगभग 70% लोग पीलिया से पीड़ित हो सकते हैं, और लगभग 80% प्रतिशत में हेपेटोमेगाली (ऐसी स्थिति जिसके कारण लिवर बड़ा हो जाता है) होता है. हालांकि समय पर बीमारी की पहचान से इलाज आसानी से किया जा सकता है.

ऐसे किया जाता है इलाज
डॉ कुमार बताते हैं कि हेपेटाइटिस ए के इलाज में किसी विशिष्ट उपचार पद्धति या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है. एचएवी से ठीक होने का सबसे अच्छा तरीका बेड रेस्ट, अच्छा हाइड्रेशन और पोषण है जो शरीर को वायरस से निपटने में मदद करता है. हालांकि पिछले छह से आठ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां एचएवी संक्रमण तीन से चार महीने से अधिक समय तक बना रहा. इन रोगियों में पीलिया से संबंधित लक्षण दिखाई दिए थे. ऐसे में जरूरी है कि हेपेटाइटिस ए के लक्षण दिखते ही तुरंत इलाज कराएं.

इन बातों का रखें ध्यान
एचएवी मुख्य रूप से संक्रमण के कारण होता है. जो हमारे मूत्र या मल के मार्ग से प्रवेश कर सकता है. इसलिए इसलिए घरों और शौचालय क्षेत्रों को हमेशा साफ रखना चाहिए. हेपेटाइटिस होने पर कई मामलों में शुरुआत में ही पीलिया के लक्षण दिखने लगते हैं. इस बीमारी से बचाव के लिए एचएवी वैक्सीन सबसे प्रभावी तरीका है. इन टीकों को डेल्टॉइड मांसपेशी में इंट्रामस्क्युलर रूप से दिया जाता है, और दो खुराक 6-18 महीनों के अंतराल पर दी जाती हैं.

इसके अलावा, ये टीके किसी व्यक्ति को एचएवी संक्रमण से बचाने में बहुत प्रभावी हैं क्योंकि वे अपनी पहली वैक्सीन खुराक प्राप्त करने के बाद भी प्राप्तकर्ताओं में 95% से अधिक सुरक्षात्मक एंटीबॉडी स्तर को प्रेरित करने में सक्षम होते हैं.

ये हैं हेपेटाइटिस ए के लक्षण
आंखों का रंग पीला होना

यूरिन पीला आना हमेशा

भूख में कमी

पेट दर्द

बुखार और दस्त