कांकेर ,19 दिसम्बर । लघु धान्य फसलों का अपना अलग ही महत्व है, इन फसलों में पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं। यह फसलें आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में कम उपजाऊ उच्चहन व कंकरीली जमीन पर ली जाती है, जिसमें अन्य फसलों का उत्पादन अच्छे से नहीं हो पाता। एक वर्ष पूर्व कांकेर जिले में लघु धान्य फसलों का रकबा लगभग 5,400 हेक्टेयर था, जो एक वर्ष में बढ़कर लगभग 10,056 हेक्टेयर हो गया है। उत्पादकता पूर्व में 566 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के आसपास था, जो एक वर्ष में बढ़कर 816 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गया है।
पहले विपणन की व्यवस्था नहीं होने के कारण कृषकों की ओर से लघु धान्य फसलों के स्थान पर धान की फसल को प्राथमिकता दी जा रही थी, साथ ही साथ लघु धान्य फसलों का प्रसंस्करण अर्थात कोदो, कुटकी से चांवल निकालना व रागी की पालिशिंग करना अत्यधिक श्रम साध्य कार्य होने के कारण कृषकों की ओर से स्वयं के उपयोग के लिये ही उगाया जाता था, जो अतिरिक्त बच जाता था उसे स्थानीय व्यापारियों को कम दामों में विक्रय कर देते थे। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन की ओर से लघु धान्य फसलों के उत्पादन व प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर व दुर्गूकोंदल विकासखंड के ग्राम गोटुलमुण्डा में लघु धान्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई, जिसका लोकार्पण प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से किया गया,
इस प्रकार कांकेर जिले से मिलेट मिशन की शुरूआत हुई। गत वर्ष 100 एकड़ में रागी, कोदो व कुटकी के उन्नत किस्म के बीजों का बीजोत्पादन कार्यक्रम किसानों के खेतों पर लिया गया। साथ ही साथ कोदो व रागी उत्पादक 300 किसानों का समूह बनाकर उन्हें उत्पादन तथा संग्रहण कार्य से जोड़ा गया। जो कृषक अपने उत्पादन कोदो व रागी को कम दाम पर बिचौलियों को बेचा करते थे, वे अब समर्थन मूल्य पर लघु धान्य फसलों का विक्रय कर रहे हैं। सरकार की ओर से कोदो, कुटकी व रागी का समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। गत वर्ष कोदो व कुटकी 03 हजार रुपए प्रति क्विंटल तथा रागी 03 हजार 370 रुपए प्रति क्विंटल की दर से क्रय किया गया। इस वर्ष सरकार की ओर से घोषित नवीन समर्थन मूल्य कोदो 03 हजार रुपए प्रति क्विंटल, कुटकी 3,100 रुपए प्रति क्विंटल व रागी 3,578 रुपए प्रति क्विंटल की दर से क्रय किया जाएगा।
विगत डेढ़ वर्ष में कांकेर जिले में लगभग 4,100 क्विंटल प्रसंस्कृत रागी, कोदो व कुटकी तैयार किया जा चुका है, जिसे मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत जिले के आंगनबाडिय़ों में व अन्य उपभोक्ताओं को विक्रय किया जा रहा है। इस उत्पाद को जिले के आंगनबाडिय़ों के माध्यम से कुपोषित, रक्त अल्पतता से ग्रसित व गर्भवती महिलाओं को तथा कुपोषित बच्चों को कोदो चांवल खिचड़ी के रूप में तथा रागी को हलवा के रूप में प्रदाय किया जा रहा है। सरकार की सुपोषण अभियान से एक ओर जहां पौष्टिक व गरम भोजन महिलाओं व बच्चों को मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर संग्रहण व प्रसंस्करण कार्य में संलग्न महिलाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिल रहा है।
प्रसंस्करण कार्य से समिति के सदस्यों को रागी में 15 रुपए प्रति किलोग्राम तथा कोदो में 20 रुपए प्रति किलोग्राम का लाभ प्राप्त हो रहा है। इस तरह समूह के सदस्यों को डेढ़ वर्ष में लगभग 09 लाख 50 हजार रुपए की आमदनी प्राप्त हुई है तथा 2,300 मानव दिवस का रोजगार सृजित किया गया। कांकेर जिले के ग्राम नाथियानवागांव में निजी क्षेत्र अवनी आयुर्वेदा की ओर से देश का सबसे बड़ा मिलेट प्रोसेसिंग इकाई स्थापित किया गया है, जो पूर्ण रूप से स्वचलित प्रसंस्करण इकाई है। इस इकाई के स्थापना से भी जिले के किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य प्राप्त होगा व प्रसंस्करण कार्य से रोजगार व आय में वृद्धि होगी।
[metaslider id="347522"]