बिलासपुर, 14 दिसम्बर । ऊर्जा की बचत ही इसकी बढ़त है। इसलिए संरक्षण बहुत जरूरी है। रेलवे एक विशाल संगठन होने के कारण यहां ऊर्जा का इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया जाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि ऊर्जा कि खपत संतुलित रूप से की जाए। जहां आवश्यक है, वहां ऊर्जा कि बचत भी की जाए। वर्तमान परिदृश्य में ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया में पर्यावरण को भी काफी नुकसान हो रहा है एवं आज पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को दूर करने के नए-नए उपाय ढूंढ रहा है।
ये बातें दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कुमार ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण सप्ताह के अवसर पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में आयोजित सेमिनार व प्रदर्शनी कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की बर्बादी को रोकना चाहिए। सेमिनार में गैर परंपरागत स्रोतों द्वारा ऊर्जा संरक्षण के उपकरणों एवं उपायों की जानकारी दी गई।
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण सप्ताह के दौरान तीनों मंडलों बिलासपुर, रायपुर और नागपुर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में अब तक 5.3 मेगावाट क्षमता की सोलर प्लांट की स्थापना की गई है। इसके साथ ही प्राकृतिक ऊर्जा के संसाधनों का भरपूर उपयोग के लिए रेलवे अस्पताल, रनिंग रुम, प्रशिक्षण स्कूल एवं अलग-अलग रेलवे फाटकों में सौर ऊर्जा पैनल लगाए गए हैं। जोन के 48 स्टेशनों में सौर ऊर्जा प्लांट लगा हुआ है।
वर्तमान वित्तीय वर्ष के अप्रैल से नवंबर तक दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में सौर ऊर्जा से 50 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया है। इसके साथ ही साथ दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा यात्री सुविधा, ऊर्जा संरक्षण एवं पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव की दृष्टि से पूरे जोन के सभी स्टेशनों एवं कार्यालयों, कारखानों, वर्कशापों में जहां 24 घंटे काम चलता है तथा रेलवे कालोनियों में प्रकाश व्यवस्था के लिए 100 प्रतिशत एलईडी लाइट से प्रकाश की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है।
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