पपीते की खेती से किसान को हो रहा है लाखों का मुनाफा, आगे और भी अच्छा लाभ मिलने की है उम्मीद

किसानों को लगातार विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ता है. कभी भारी बारिश की वजह से फसलों का खराब हो जाना तो कभी उपज का सही दाम न पाना. किसान इन सब संकट से उभरते हुए आगे बढ़ते है और सही योजना के साथ अच्छी खेती पर ज़ोर देते हैं. महाराष्ट्र के किसान अब मुख्य फसलों से ज्यादा बागवानी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.उचित योजना और तकनीक की मदद से उन्हें भरपूर उत्पादन भी मिल रहा है. सांगली जिले के ऐसे ही एक युवा किसान ने अपने डेढ़ एकड़ जमीन में सफलतापूर्वक पपीते की खेती कर अब लाखों का मुनाफा कमा रहा है. किसान कुंडल के प्रतीक पुजारी की उम्र 25 साल हैं कम समय में ही उन्होंने सही योजना के साथ पपीते की खेती की और अब तक उन्हें 23 लाख की आय अर्जित की है.

किसान ने पपीते के इस किस्म को लगाया है
प्रतीक पुजारी सांगली जिले के कुंडल गांव के रहने वाले है. उन्होंने अपने सवा एकड़ खेत में पपीता लगाया है. इस चौथाई एकड़ में लगभग 1 हजार 100 पपीते के पौधे रोपे गए हैं, उन्हें पपीते का बाग लगाए हुए दो साल हो चुके हैं. इस पपीते का उत्पादन पिछले 18 महीने से चल रहा है. किसान प्रतीक पुजारी ने बताया कि अब तक 210 टन पपीते का उत्पादन हो चुका है. पुजारी ने बताया कि इस प्रोडक्शन से उन्हें 23 लाख रुपये की आय हुई है. किसान ने 15 नंबर’ पपीते की किस्म लगाई है. प्रतीक पुजारी ने कहा कि इससे भारी उत्पादन मिला है.

कीमत 9 रुपये से लेकर 28 रुपये प्रति किलो तक है
ढेर एकड़ पपीते की खेती से अब तक 210 टन पपीते का उत्पादन मिला है. प्रतीक पुजारी ने बताया कि 30 टन और उत्पादन तक मिलने की संभावना है. किसान ने बताया कि सारे पपीते मुंबई के वाशी मार्केट में बिकते हैं. वहां से पपीते की अच्छी मांग से फायदा हुआ. हमारा पपीता दूसरे पपीतों से ज्यादा वजन भर रहा था. प्रतीक पुजारी ने कहा कि इससे मुझे मुनाफा हो रहा है.

पीते की खेती के लिए कैसे बनाई योजना
किसान ने बताया कि इस पपीते की खेती के लिए रासायनिक के साथ-साथ जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता था. जिसमे मृदा कार्बनिक पदार्थ में वृद्धि फसलें घुमाई गईं पपीता लगाने से पहले मिट्टी की जांच कराएं पानी की उचित योजना.और ड्रिप पद्धति से बगीचे में पानी की आपूर्ति फिर गार्डन में इस्तेमाल होने वाली सभी दवाएं एसवी एग्रो कंपनी से लिया था.कृषि में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया है.

किसान ने इसकी खेती के लिए कुंडल कृषि सहायक से संपर्क किया था. इस दौरान उन्होंने कहा कि उनका पपीता डेढ़ साल से ज्यादा समय से बाजार में चल रहा है. उनके पपीते की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. कृषि सहायक सालगर ने बताया कि इससे पुजारी को अच्छा मुनाफा हुआ है. पपीते की भी इस समय काफी डिमांड है. सालगर ने कहा कि मांग बढ़ने से कीमत बढ़ी है. पपीते की 15 नंबर किस्म की बाजार में अच्छी मांग है. साथ ही बीमारियों का प्रकोप भी कम होता है. लेकिन सालगर ने यह भी कहा कि किसानों को बाजार को देखना चाहिए और पपीते का उत्पादन करना चाहिए. सालगर आगे ने कहा कि उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ क्योंकि व्यापारी वहां से उनका माल उठा रहे थे. सालगर ने कहा कि अपने पपीते के बगीचे की उचित योजना के कारण प्रतीक पुजारी को बहुत लाभ हुआ हैं.