नई दिल्ली,10दिसम्बर । राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के 97वें फाउंडेशन पाठ्यक्रम के विदाई समारोह में सम्मिलित हुईं। प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधित करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि इस समय जब वे उन सभी को सम्बोधित कर रही हैं, तो सरदार वल्लभ भाई पटेल के शब्द उन्हें याद आ रहे हैं। अप्रैल 1947 में सरदार पटेल भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से मिल रहे थे। उस समय उन्होंने कहा था, प्रत्येक जनसेवक, चाहे वह किसी भी दायित्व का निर्वहन कर रहा हो, हमें उससे सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करनी चाहिये और यह उम्मीद रखना हमारा अधिकार है। राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम गर्व से कह सकते हैं कि जनसेवक इन उम्मीदों पर खरे उतरे हैं।
राष्ट्रपति ने गौर किया कि फाउंडेशन पाठ्यक्रम का मूलमंत्र वी, नॉट आई (हम, न कि मैं) है। उन्होंने भरोसा जताया कि इस पाठ्यक्रम के प्रशिक्षु अधिकारियों को सामूहिक भावना के साथ देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठानी चाहिये। उन्होंने कहा कि उनमें से कई अगले 10-15 वर्षों के लिये देश के एक बड़े भू-भाग में प्रशासनिक कामकाज करेंगे तथा जनमानस से उनका सीधा संपर्क रहेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि वे अपने सपने के भारत को एक ठोस आकार दे सकते हैं।
अकादमी के ध्येय-वाक्य शीलं परम् भूषणम् का उल्लेख करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि एलबीएसएनएए में प्रशिक्षण पद्धति कर्मयोग के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें शील को अत्यंत महत्त्व दिया जाता है। राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को परामर्श दिया कि वे समाज के वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशील बनें। उन्होंने कहा कि ‘गोपनीयता’, ‘क्षमता’ और ‘अनुशासित आचरण’ सिविल अधिकारियों के आभूषण हैं। यही गुण प्रशिक्षु अधिकारियों को उनके पूरे सेवाकाल में आत्मबल देंगे।
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