धमतरी : गोरेगांव व फरसियां में गोबर खरीदी बंद, पशुपालकों में आक्रोश

धमतरी, 30 नवंबर। वनांचल के कई गोठानाें में गोबर खरीदी बंद है। पशुपालक गोबर नहीं बेच पा रहे हैं। मवेशियों के गोबर को कंडे बना रहे हैं। ऐसे में उन्हें आर्थिक फायदा नहीं हो रहा है। शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से पशुपालकों में आक्रोश है। गोबर नहीं बेच पा रहे पशुपालकों ने गोठानों में शीघ्र गोबर खरीदी करने की मांग की है।

नगरी विकासखंड के ग्राम गोरेगांव और फरसियां के गोठानों में लंबे समय से गोबर खरीदी बंद है। ऐसे में पशुपालकों की परेशानी बढ़ गई है। गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी का क्रियान्वयन ग्राम पंचायत गोरेगांव में करीब चार-पांच माह से बंद है। वहीं ग्राम पंचायत फरसियां में भी गोबर खरीदी 29 नवंबर से बंद करने की मुनादी गोठान समिति द्वारा की गई है, जिससे पशुपालकों में आक्रोश है।

ग्राम पंचायत गोरेगांव के ग्रामीण संतोष यदु राज का कहना है कि, जिस उद्देश्य से राज्य शासन ने गोधन योजना शुरू की है, इसका लाभ पशुपालकों को नहीं मिल रहा है। ग्राम गोरेगांव में सिर्फ दो से तीन माह गोबर खरीदी के बाद से खरीदी बंद कर दी गई है। गोबर खरीदी बंद होने से किसान व पशुपालक गोबर को खाद बनाने के लिए कूड़े के ढेर में डाल रहे हैं। वहीं कुछ लोग कंडे भी बना रहे हैं। ग्राम फरसियां के ग्रामीण रोहित पारख ने बताया कि 29 नवंबर से गोबर खरीदी बंद कर दी गई है, जिससे गोपालक नाराज है। उनके यहां प्रतिदिन एक से दो क्विंटल तक गोबर होता है और गोठान गोबर समिति द्वारा इसे खरीदा भी जा रहा था। अचानक खरीदी बंद करने की घोषणा की गई है, जो उचित नहीं है। गोबर खरीदी की क्रियान्वयन व्यवस्थित ढंग से करने की मांग की है, ताकि इसका लाभ जरूरतमंदों को मिल सके। गोबर खरीदी बंद होने की वजह से वर्मी कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया भी थम गई है। ग्रामीणों ने शीघ्र गोबर खरीदी करने की मांग की है।

लक्ष्य से अधिक खरीदी

गोठान समिति फरसियां के अध्यक्ष चंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि लक्ष्य से अधिक गोबर की खरीदी कर ली गई है और गोठान में गोबर रखने के लिए जगह की कमी है। इस वजह से गोबर खरीदी का कार्य बंद है। प्रतिदिन 10 क्विंटल के आसपास गोबर खरीदी की जा रही थी, जबकि दो क्विंटल गोबर खरीदी करने का आदेश प्राप्त हुआ था।

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