इंदौर। अंधविश्वास और चमत्कार पर भरोसा मत करना। कोई धन से भरा घड़ा नहीं मिलेगा । गीता में भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु पुराण में भगवान विष्णु और ब्रह्म पुराण में ब्रह्माजी ने कहा है कि जीवन में जो कुछ मिलेगा वह कर्म के फल से ही मिलेगा। जब धोपदी का चीरहरण हो रहा था, तब वहां जो लोग बैठे थे, उनमें से कोई भी बचाने नहीं आया था। बचाने के लिए तो परमात्मा ही आया था। हमारे जीवन में स्वाद और विवाद दो महत्वपूर्ण चीजें हैं। इनसे बचेंगे, तभी जीवन सार्थक होगा। स्वाद के चक्कर में शरीर और विवाद के चक्कर में दिमाग खराब हो जाता है।
यह बात कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को कही। वे दलालबाग में हजारों भक्तों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि क्रोध भी बहुत थोड़ी देर के लिए आता है, लेकिन उस समय नियंत्रण नहीं रखा तो 10 मिनट का क्रोध 10 साल की जेल करा देता है। यह संसार है। इसका मतलब है कि यहां कोई सार नहीं है । संसार का कोई भी सुख हमें प्रभु की कृपा के बिना नहीं मिल सकता है। हम आप जिस भी स्थिति में है, उस स्थिति के लिए हमें प्रभु को धन्यवाद देना चाहिए। कथा 30 नवंबर तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से होगी।
भगवान शिव के लिए अपना विश्वास लेकर आना
पं. मिश्रा ने उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि आप जब भी कथा सुनने के लिए आओ तो अपने साथ में अपने सोने-चांदी के जेवर, पर्स और मोबाइल लेकर मत आना। उन सभी को घर पर ही रख कर आना । यहां पर तो केवल शिव के प्रति अपना विश्वास लेकर आना। हमारा पेट भरने की जिम्मेदारी परमात्मा की है, लेकिन हमारे द्वारा रखी गई पेटी भरने की जिम्मेदारी परमात्मा की नहीं है। यदि हमारा ड्रेस और एड्रेस सही होगा तो हमें परमात्मा से मिलने से कोई नहीं रोक सकेगा। रिश्ते नाते दिए हैं तो उनका निर्वहन करना भी उसकी जिम्मेदारी है।
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