दुर्ग। छत्तीसगढ़ को साल-2023 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य लेकर शुरू किए गए प्रयासों के अंतर्गत जिले के खुर्सीपार (भिलाई) में राज्य स्वास्थ्य केंद्र संस्थान रायपुर के द्वारा जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान सैकड़ों लोगों की भीड़ के मध्य टीबी (क्षय) रोग क्या है, यह कैसे होता है, लक्षण, उपाय और कार्य के दौरान कार्यक्षेत्र में मितानिन व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के सामने आने वाली चुनौती जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई तथा विशेषकर युवाओं से नशापान न करने की अपील की गई।
टीबी रोग पर नियंत्रण तथा इससे बचाव के लिए कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा के दिशा-निर्देश, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेपी मेश्राम के मार्गदर्शन और जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनिल शुक्ला के नेतृत्व में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में दुर्ग विकासखंड में भी टीबी रोग से बचाव संबंधी संदेशों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन के माध्यम से टीबी चैंपियन उन स्थानों तक भी पहुंच रहे हैं, जहां पहले टीबी के मरीज चिन्हित किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन व विशेषकर टीबी चैंपियन के माध्यम से शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कई जगहों पर टीबी रोग के लक्षण आने की स्थिति में बलगम की जांच कराने की सलाह दी जा रही है। वहीं खुर्सीपार में स्थानीय पार्षदों, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग कर्मचारियों तथा टीबी चैंपियन संजना प्रजापति, नितेश साव और प्रिंसी प्रजापति की मौजूदगी में जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर वक्ताओं ने निक्षय पोषण योजना, निक्षय संपर्क संख्या, टीबी रोग को खत्म करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के लक्ष्य व निक्षय मित्र पर प्रकाश डाला। साथ ही बताया गया कि, टीबी रोग से ग्रसित ऐसे व्यक्ति जो अपना पोषण आहार लेने में सक्षम नहीं हैं, उनकी मदद निश्चय मित्र योजना से जुड़कर की जा सकती है। वहीं कार्य के दौरान कार्यक्षेत्र में मितानिन व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के सामने आने वाली चुनौतियों तथा इससे निपटने के उपायों पर भी विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यक्रम अवसर पर टीबी चैंपियन संजना प्रजापति ने कहा-टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है बल्कि समय पर रोग के लक्षणों की पहचान कर इलाज शुरू कराने से टीबी ग्रस्त की जिंदगी बचाई जा सकती है। इसीलिए क्षेत्र में टीबी ग्रस्त लोगों की लगातार काउंसिलिंग की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा टीबी रोग से ग्रसित मरीज का उपचार सभी शासकीय चिकित्सालयों व स्वास्थ्य संस्थाओं में निःशुल्क किया जाता है। उपचार की अवधि 6 से 9 माह तक की रहती है। टीबी रोग से निजात पाने के लिए टीबी से ग्रसित मरीज को उपचार के अंतर्गत नियमित रूप से प्रतिदिन सेवन करने के लिए दवाइयां दी जाती हैं। दवाइयों का नियमित सेवन करने से मरीज शत-प्रतिशत रोगमुक्त हो सकता है।
इस संबंध में जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. अनिल शुक्ला ने बतायाः छत्तीसगढ़ को वर्ष 2023 तक टीबी मुक्त बनाने के उद्देश्य से किए जा रहे प्रयासों की कड़ी में दुर्ग जिले में लगातार कार्यक्रम किए जा रहे हैं। टीबी ग्रस्त की काउंसिलिंग की जा रही है तथा ग्रामीणों के बीच टीबी रोग से बचाव संबंधी संदेश प्रचारित किए जा रहे हैं। खुर्सीपार में राज्य स्वास्थ्य केंद्र संस्थान रायपुर के द्वारा आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में भी टीबी चैंपियन, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन की टीम की मौजूदगी में टीबी रोग पर नियंत्रण तथा इससे बचाव हेतु पहल की गई। वहीं कई लोगों ने नशा-पान नहीं करने का संकल्प लिया।
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