विज्ञान के संचार की जिम्मेदारी लें वैज्ञानिक : प्रो. रंजना

नई दिल्ली ,21 नवंबर । यदि वैज्ञानिक संवाद नहीं करते हैं, तो गैर- विशेषज्ञ संवाद करना शुरू कर देंगे और फिर भ्रामक  सूचनाओं और असत्य  जानकारियों  के बादल उठेंगे, इसलिए हमारे वैज्ञानिकों को विज्ञान संचार के महत्वपूर्ण कार्य में शामिल करना आवश्यक है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान परिषद-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च की निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान  परिषद के सहयोग से सीएसआईआर- एनआईएससीपीआर द्वारा आयोजित स्वास्थ्य संचार पर आयोजित संपर्क सत्र में अपने उद्घाटन भाषण के दौरान इन विचारों को साझा किया।

उन्होंने कहा कि हमने हाल के दिनों में कोविड -19 महामारी से बहुत कुछ सीखा और हमने देखा कि कैसे विज्ञान संचार ने अनिश्चितता के उन दिनों में अवैज्ञानिक बातों को मिटाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की विभिन्न प्रयोगशालाओं के 30 वैज्ञानिकों ने भाग लिया। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर में पहले तकनीकी सत्र में चार विशेषज्ञों ने चिंता के विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिया। आर.एस. जयसोमु, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने अनुसंधान संचार बनाम विज्ञान संचार: समय की आवश्यकता पर व्याख्यान दिया। डॉ. वाई माधवी, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वार्ता का विषय था  कोविड पश्चात काल में स्वास्थ्य संचार।

डॉ. मनीष मोहन गोरे, वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने विभिन्न मीडिया प्रारूपों के लिए लोकप्रिय विज्ञान लेखन पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। अश्विनी ब्राह्मी, प्रधान तकनीकी अधिकारी, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने आईसीएमआर के भाग लेने वाले वैज्ञानिकों के साथ विज्ञान संचार में उत्पादन और मुद्रण  की जानकारी पर चर्चा की।