छत्तीसगढ़ की संस्कृति व पारंपरिक खेल को बढ़ावा देने का कार्य कर रही सरकार : मोहम्मद अकबर

कवर्धा । वन, परिवहन, आवास, पर्यावरण, विधि विधायी तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री व कवर्धा विधायक मोहम्मद अकबर गुरुवार को कवर्धा विकासखंड के ग्राम जेवड़नखुर्द में आयोजित विकासखंड स्तरीय ‘ ‘छत्तीसगढ़िया ओलंपिक’ प्रतियोगिता के समापन समारोह में शामिल हुए। मंत्री अकबर ने विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया और खिलाड़ियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। राजीव युवा मितान क्लब द्वारा आयोजित ‘छत्तीसगढ़िया ओलंपिक’ खेल प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने अपने खेल का जौहर दिखाया, जिसमें छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के तहत गिल्ली डंडा, दौड़, कबड्डी, पिटुल, खो-खो, लंगडी दौड़, रस्साकशी, लंबी कूद जैसे खेल शामिल हैं। ‘छत्तीसगढ़िया ओलंपिक’ में सभी छत्तीसगढ़िया खेल प्रतियोगिता मे बच्चों से लेकर महिलाएं व पुरुषों ने  बढ़-चढ़कर खेल में हिस्सा लेकर खेलों का आनंद उठाया। इस अवसर पर  क्रेडा सदस्य कन्हैया अग्रवाल, कवर्धा कृषि मंडी अध्यक्ष नीलकंठ साहू, उपाध्यक्ष चोवा साहू, कलीम खान, कृषक कल्याण बोर्ड सदस्य भगवान सिंह पटेल, अशोक सिंह, राजेश शुक्ला, विकास केसरी जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल सहित अन्य अधिकारी और जनप्रतिनिधि, ग्राम के वरिष्ठ नागरिक, खिलाडी उपस्थित थे।



मंत्री अकबर ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति व सभ्यता और विशिष्ट पहचान यहां की ग्रामीण परंपराओं और रीति रीवाजों से है। इसमें पारंपरिक खेलों का विशेष महत्व है। परंपरागत रूप से बहुत समय से खेलते आ रहे खेल को शासन द्वारा वैश्विक पहचान दिलाया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के इन खेलों को लोग भूलते जा रहे थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुरानी संस्कृति को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। खेलों को चिरस्थायी रखने, आने वाली पीढ़ी से इनको अवगत कराने के लिए छत्तीसगढ़ियां ओलंपिक खेलों की शुरूआत की गई है। इस खेल को खेल तक न रखते हुए हमारी संस्कृति को आत्मसात करने का साधन बनाएं और आगे बढ़े। छत्तीसगढ़ लोक संस्कृति, लोक परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसे आगे बढ़ाया गया है, उसी प्रकार हमारी खेल संस्कृति को भी बहुत आगे तक ले जाना है। छत्तीसगढ़ के ये खेल मनोरंजक होने के साथ साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इन खेलों से बच्चे, बुजुर्ग व युवा सभी व्यायाम आदि शारीरिक गतिविधियों से जुड़ते हैं। मंत्री अकबर ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए खेलकूद को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों से राज्य के हर गांव, हर ब्लाक तथा हर जिले में स्थानीय खेलों का आयोजन हो रहा है। छत्तीसगढ़ी भाषा, खानपान, लोक कला, संस्कृति, खेलकूद को बढ़ावा देने और उसे छत्तीसगढ़ के बाहर भी पहचान दिलाने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है। अब छत्तीसगढ़िया खेल भी अपनी अलग पहचान बना रहे है।  

जिले में गांव से लेकर शहर तक ’छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक’ का हो रहा आयोजन
जिले में गांव से लेकर शहर तक ’छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक’ का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे महिला, पुरूष, बुजुर्ग सहित बच्चों ने इस पारंपरिक लोक खेल में भाग ले रहे है। ’छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक’ गांव से लेकर राज्य स्तर तक 6 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 6 जनवरी 2023 तक चलेगा।  

दो श्रेणी में 14 तरह के खेल हो रहे आयोजित
छत्तीसगढ़ के पारम्परिक खेल प्रतियोगिता दलीय एवं एकल श्रेणी में हो रही है। छत्तीसगढ़ ओलम्पिक 2022-23 में 14 प्रकार के पारम्परिक खेलों को शामिल किया गया है। इसमें दलीय श्रेणी में गिल्ली डंडा, पिट्टूल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी और बांटी (कंचा) जैसे खेल शामिल किए गए हैं। वहीं एकल श्रेणी की खेल विधा में बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, 100 मीटर दौड़ और लम्बी कूद शामिल है।

गांव के क्लब से लेकर राज्य तक छह स्तरों पर हो रहा आयोजन
छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक में छह स्तर निर्धारित किए गए हैं। इन स्तरों के अनुसार ही खेल प्रतियोगिता के चरण होंगे। इसमें गांव में सबसे पहला स्तर राजीव युवा मितान क्लब का होगा। वहीं दूसरा स्तर जोन है, जिसमें 8 राजीव युवा मितान क्लब को मिलाकर एक क्लब होगा। फिर विकासखंड/नगरीय क्लस्टर स्तर, जिला, संभाग और अंतिम में राज्य स्तर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक में आयु वर्ग को तीन वर्गो में बांटा गया है। इसमें प्रथम वर्ग 18 वर्ष की आयु तक फिर 18-40 वर्ष आयु सीमा तक, वहीं तीसरा वर्ग 40 वर्ष से अधिक उम्र के लिए है।