बिहार के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है महाबोधि मंदिर, जाने से पहले जान लीजिए ये खास बातें

दुनियाभर में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बोधगया बेहद पवित्र जगह है जहां हर साल लाखों बौद्ध अनुयायी आते हैं। इस मंदिर को महान जागृति मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। महाबोधि मंदिर शहर का केंद्र है। मंदिर परिसर के अंदर मोबाइल फोन की अनुमति नहीं है। अगर आप जल्द यहां जाने वाले हैं तो जान लीजिए ये खास बातें-

बोधि वृक्ष (Bodhi Tree)

यह मंदिर परिसर का सबसे जरूरी और पूजनीय हिस्सा है। बोधि वृक्ष पश्चिम की ओर है और सीधे मुख्य मंदिर के पीछे है। यहीं पर गौतम बुद्ध ने पूर्णिमा की रात को ज्ञान प्राप्त किया था। यह पीपल का विशाल पेड़ है और एक चौकोर कंक्रीट की दीवार से घिरा है।


मेडिटेशन पार्क (Meditation Park)

मंदिर परिसर में घूमकर बुद्ध के मार्ग का पता लगाया जा सकता है। हालांकि, मेडिटेशन पार्क अपने आप में एक अलग दुनिया है। मुख्य मंदिर की ओर एंटर करते ही यह उद्यान बाईं ओर है। पार्क दो विनम्र घंटियों से सुशोभित है। भले ही यहां पेड़ों से घनी छाया न हो, लेकिन इस जगह की हरियाली और खामोशी ध्यान लगाने वालों को व्याकुलता से दूर रहने में मदद करती है।

मुचलिंडा सरोवर (Muchalinda Sarovar)

मुचलिंडा सरोवर दक्षिण की ओर है और ध्यान पार्क के बाद आता है। बुद्ध छठे हफ्ते में यहां ध्यान कर रहे थे। जब यहां एक आंधी आई, तो बुद्ध अडिग रहे और ध्यान करते रहे। तभी झील के सर्प राजा मुचलिंडा, बारिश में बुद्ध को शरण देने के लिए निकले। झील का नाम सांप राजा के नाम पर पड़ा है। 


क्लॉस्टर वॉक (Cloister Walk)

क्लॉस्टर वॉक को कंकामना भी कहा जाता है। यह एक पत्थर के चबूतरे पर बना है। यहीं बुद्ध ने अपना तीसरा हफ्ता ध्यान में बिताया था। माना जाता है कि इस वॉकथ्रू में कमल वे स्थान हैं जहां बुद्ध ने कदम रखा था।


बटर लैंप हाउस (Butter Lamp House)

बटर लैम्प हाउस मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग की ओर है। परंपरा के रूप में यहां पर मक्खन के दीये चढ़ाए जाते हैं। पहले ये दीपक सीधे बोधि वृक्ष के नीचे जलाए गए थे, लेकिन पवित्र वृक्ष को उनकी गर्मी से होने वाले नुकसान के कारण जगह को बदल दिया गया।

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