Kalidas Samaroh Ujjain: मंगल ध्वनि के साथ उज्जैन में अभा कालिदास समारोह शुरू

उज्जैन । संस्कृत रंगमंच के लिए विशिष्ट पहचान बनाए रखने वाले अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ शुक्रवार शाम कालिदास संस्कृत अकादमी के पंडित सूर्यनारायण व्यास सभागार में मंगल ध्वनि के बीच राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण और मध्य प्रदेश गान गाकर से की गई। रंगकर्म के क्षेत्र में भोपाल के राजीव वर्मा, रूपंकर कला के क्षेत्र में पुणे के वासुदेव कामत, शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में कोलकाता के बुधादित्य मुखर्जी और शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में उज्जैन-इंदौर के डा. पुरू दाधीच को राष्ट्रीय कालिदास सम्मान-2021 से सम्मानित किया गया।

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कालिदास समारोह में रंगकर्मी राजीव वर्मा का सम्मान करते राज्यपाल मंगुभाई पटेल व अन्य।

सम्मान स्वरूप सभी को दो-दो लाख रुपये, सम्मान पत्र, शाल, श्रीफल भेंट की गई। अकादमी द्वारा महाकवि कालिदास द्धारा संस्कृत में रचित दूतकाव्य ‘मेघदूतम्’ का भोजपुरी अनुवाद ‘ बद्रा भयील मौरा दूध’, पत्रिका दुर्वा और राष्ट्रीय कालिदास चित्र एवं मूर्तिकला आधारित कैटलाग का विमोचन भी किया। तत्पश्चात महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कलाकार विद्यार्थियों ने मध्य प्रदेश सरकार से शिखर सम्मान प्राप्त नईदिल्ली के रंगकर्मी लोकेंद्र त्रिवेदी के निर्देशन में तैयार संस्कृत नाटक ‘मालविकाग्निमित्रम्’ की प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति को दर्शकों ने काफी सराहा। समारोह के सारस्वत अतिथि चित्रकूट के जगदगुरु पद्मविभूषण स्वामी रामभद्राचार्य, विशेष अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव और सांसद अनिल फिरोजिया थे। अध्यक्षता प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने की।

राष्ट्रीय चित्र एवं मूर्तिकला प्रदर्शनी और हस्तशिल्प मेले का भी शुभारंभ

कालिदास संस्कृत अकादमी परिसर में लगी राष्ट्रीय चित्र एवं मूर्ति कला प्रदर्शनी और जिला पंचायत द्धारा लगाए हस्तशिल्प मेले का शुभारंभ भी किया गया। प्रदर्शनी, अभिज्ञानशाकुंतलम् और रघुवंशम कलावीथिका में लगाई गई हैं, जिसमें विक्रमोवर्शीयम विषय पर केंद्रीत और चयनित श्रेष्ठ 85 चित्र एवं 12 मूर्तियों को प्रदर्शन के लिए रखा गया है। अकादमी ने प्रदर्शनी के अवलोकन का समय रोज सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक निर्धारित किया है। यहीं इंदौर-देवास के कलाकारों ने विक्रमोवर्शियम विषय पर खूबसूरत रंगोली बनाई है, जिसे दर्शक काफी सराहा रहे हैं। अकादमी के पीछे खाली पड़ी जमीन पर हस्तशिल्प मेला लगाया है। इसमें खान-पान सहित हस्त निर्मित कलाकृतियों की 500 से अधिक दुकानें लगाई गई हैं।

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