रायपुर, कोरबा,10 अक्टूबर । कोरिया ,कोरबा ,सुकमा एवं बेमेतरा जिले में छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम 2015 के निर्धारित नियमों की धज्जियां उड़ रही। इन जिलों में गाईल्डलाइन्स को नजरअंदाज कर डीएमएफटी के समस्त कार्यों का संचालन डीएमएफ पोर्टल के माध्यम से नहीं किया जा रहा। डीएमएफ के उद्देश्यों के विपरीत किए जा रहे कार्यों से नाराज छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास एवं खनिज साधन विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने संबंधित जिलों के कलेक्टर सह अध्यक्ष जिला खनिज संस्थान न्यास को पत्र जारी कर डीएमएफ पोर्टल के माध्यम से कार्यों की स्वीकृति एवं भुगतान की कार्यवाही सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए हैं।
कलेक्टरों को जारी पत्र के माध्यम से उल्लेख किया गया है कि छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम -18 के उप -नियम (3) पोर्टल ,जिसमें न्यास द्वारा वार्षिक योजनाएं प्रदान की गई स्वीकृति और अनुमोदन अन्तवृष्ट है के माध्यम से ऑनलाइन निगरानी व्यवस्था बनाएगी। उप नियम (4)ई -गवर्नेंस के उपयोग के माध्यम से निगरानी एवं न्यास निधि के व्यय में अधिकतम पार्दर्शिता सुनिश्चित करेगी का प्रावधान है। उपरोक्त संबंध में 20 जनवरी 2021 तथा 31 जनवरी 2022 को जारी निर्देश अनुसार दिनांक 15 फरवरी 2021 के पश्चात सभी जिलों को डीएमएफटी के सभी कार्यों का संचालन डीएमएफ पोर्टल के माध्यम से अनिवार्यतः किया जाना है । लेकिन कोरबा ,कोरिया सुकमा एवं बेमेतरा जिला द्वारा न्यास के समस्त कार्यों का संचालन पोर्टल के माध्यम से नहीं किया जा रहा जो कि न्यास के उद्देश्यों के विपरीत है। अतः शत प्रतिशत जिलों में पोर्टल के माध्यम से कार्यों की स्वीकृति एवं भुगतान की कार्यवाही सुनिश्चित करें। व्यस्थापक छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास के 16 सितम्बर 2022 को जारी पत्र ने चारों जिलों में खलबली मचा दी है। यही नहीं समस्त जिला कलेक्टर सह अध्यक्ष जिला खनिज संस्थान न्यास को इस बात के लिए भी कड़े निर्देश जारी किए गए हैं कि उनके द्वारा छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम 2015 के नियम -22 में निहित प्रावधान अनुसार न्यास के पास उपलब्ध निधि से नियम विरुद्ध अतिरिक्त अन्य प्रकार के कार्यों की स्वीकृतियां दी जा रही है।जो कि न्यास के उद्देश्यों के विपरीत है। जबकि कम से कम 60 प्रतिशत राशि उच्च प्राथमिकता के क्षेत्रों एवं 40 प्रतिशत राशि अन्य प्राथमिकता के क्षेत्रों में उपयोजित किए जाने का प्रावधान है।
सोशल ऑडिट के निर्देशों की भी कोरबा,दंतेवाड़ा,बस्तर जिले ने की अवहेलना
डीएमएफ के कार्यों में शासन के गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाने के मामले में कोरबा अन्य पैराग्राफ में भी आगे है। छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम 2015 के नियम -12 (3 )क के अनुसार न्यास द्वारा संपादित कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण का प्रावधान सुनिश्चित किया गया है। इसके पीछे शासन की मंशा डीएमएफ के कार्यों में पारदर्शिता लाने की थी। पायलेट परियोजना के रूप में प्रथम चरण में कोरबा,दंतेवाड़ा एवं बस्तर जिला में सामाजिक अंकेक्षण कराए जाने निर्देशित किया गया था। परंतु कोरबा सहित इन जिलों में निर्देशों को नजरअंदाज कर दिया। व्यवस्थापक छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास ने एक माह के भीतर सामाजिक ऑडिट पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं।
कोरबा में रामपुर विधायक ने परियोजना अधिकारी पर लगाए थे गम्भीर आरोप ,की थी लिखित शिकायत ,अभी तक नहीं हुई कार्रवाई
जिला खनिज संस्थान न्यास कोरबा में परियोजना अधिकारी के पद पर पिछले 2 वर्षों से अधिक समय से पदस्थ डिप्टी कलेक्टर भरोसा राम ठाकुर की कार्यशैली को लेकर पूर्व गृहमंत्री मौजूदा रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने खुलकर विरोध जताया था। पूर्व गृहमंत्री श्री कंवर ने कलेक्टर संजीव झा को पत्र लिखकर श्री ठाकुर पर शासी परिषद के उनके प्रस्तावित कार्यों पर कमीशनखोरी की नियत से प्रशासकीय स्वीकृति देने में विलंब करने कार्यकाल में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार करने का गम्भीर आरोप लगाया है। उन्होंने डिप्टी कलेक्टर सह परियोजना अधिकारी जिला खनिज संस्थान न्यास भरोसा राम ठाकुर को निलंबित करते हुए कार्यकाल में किए गए भ्रष्टाचार के जांच की मांग कर खलबली मचा दी है। हालांकि इसके बाद भी कार्रवाई नहीं होने से श्री कंवर खासे नाराज हैं। इस बीच व्यवस्थापक छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास वायरल हो रहा यह पत्र कहीं न कहीं विपक्ष सहित आम जनता को कोरबा में डीएमएफ के कार्यों को लेकर सवाल उठाने का एक और अवसर दे रहा।
तो सिर्फ परियोजना अधिकारी हैं जिम्मेदार!गड़बड़ी के आसार ,जांच की दरकार
जिस तरह डीएमएफ के गाइडलाइंस का पालन नहीं करने का मामला प्रकाश में आ रहा है। इसके दो महत्वपूर्ण कण्डिकाओं में कोरबा भी शामिल है कहीं न कहीं इसके लिए परियोजना अधिकारी ही जिम्म्मेदार हैं। गाइडलाइंस का अक्षरशः पालन कराने की जिम्मेदारी परियोजना अधिकारी की होती है पर न तो डीएमएफ के कार्यों को पोर्टल में अपलोड किया जा रहा न ही निर्देशों के बावजूद सामाजिक अंकेक्षण किया गया । निश्चित पर इससे कहीं न कहीं डीएमएफ के कार्यों को लेकर शासन प्रशासन के प्रति आमजनता में अविश्वास की भावना पैदा हो रही। जबकि मूल मंशा पारदर्शितापूर्ण काम कराने की रही है। गौरतलब हो कि कोरबा को डीएमएफ से प्रतिवर्ष करीब 230 करोड़ की राशि निर्धारित पैरामीटर्स में विकास कार्य कराने मिलते हैं। पर इस राशि के बंदरबाट की शिकायतें शासन तक पहुंचती रही हैं। हाल ही में शिक्षा विभाग ,आदिवासी विकास विभाग के कार्यों की शिकायत शासन तक की गई है। जिसमें अभी तक कार्रवाई नहीं हो सकी है।शासन को स्वतः संज्ञान लेकर डीएमएफ के कार्यों की जांच करानी चाहिए।
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