कोरबा:रात 12 से 5 रेत की चोरी का खेल!CM की हिदायत नजरअंदाज

  1. माइनिंग का पूरा अमला बदल दिया लेकिन नहीं दिख रही सक्रियता

  2. कोरबा,9 अक्टूबर । कोरबा शहर से लगे सीतामणी स्थित मोतीसागर पारा हसदेव नदी के रेतघाट में रात के वक्त चोरी जमकर हो रही है। कोतवाली थाना से लगभग 1 किलोमीटर दूर रेतघाट से हो रही बेखौफ चोरी थमने का नाम नहीं ले रही बल्कि एक-दो दिन छोड़कर सप्ताह के पूरे दिन रेत खनिज का अवैध खनन व परिवहन किया जा रहा है।

  3. भिलाईखुर्द में भी एनीकट के निकट से रेत खोदी जा रही है। अवैध खनन और परिवहन की जा रही रेत से भरे ट्रैक्टर थाना व चौकियों के सामने से धड़धड़ाते हुए गुजर जाते हैं लेकिन रात के अंधेरे में आखिर कौन सा भंडारण इन्हें परिवहन और रायल्टी प्रदान करता है, किस निर्माण स्थल के लिए चोरी की रेत ले जाई जाती है, उस पर रोक लगाने की फुर्सत जिम्मेदार लोगों को नहीं है। वर्तमान में जबकि 15 अक्टूबर तक के लिए एनजीटी के निर्देशानुसार पर्यावरणीय कारणों से रेत के खनन पर पूर्ण रूप से पाबंदी कायम है, फिर भी चोरों के लिए दरबार खुला छोड़ दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक रात 12 बजे से तड़के 5 बजे के मध्य रात के अंधेरे में चोरी का खेल सांठ-गांठ से खेला जा रहा है। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सख्त हिदायत को नजरअंदाज कर आखिर किसका संरक्षण इन रेत के चोरों को प्राप्त है, यह जांच का विषय भी है। सूत्र बताते हैं कि प्रति ट्रैक्टर 3 हजार रुपए की अवैध वसूली के एवज में घाट खुले छोड़े गए हैं। बता दें कि पिछले महीनों में मुख्यमंत्री जो कि खनिज विभाग मंत्रालय भी अपने पास रखे हुए हैं, उनके द्वारा कोरबा खनिज विभाग के अधिकारी से लेकर ड्राईवर व सिपाही तक बदल दिए गए। आमूलचूल परिवर्तन के बाद भी नए अधिकारियों व कर्मियों से कार्यवाही की उम्मीद करना बेईमानी साबित हो रहा है।
    यह बड़ा ही रहस्यमय है कि कुछ महीना पहले तक एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार, नायब तहसीलदार सीधे रात-रात को सड़क पर उतरकर रेत पकड़ा करते थे लेकिन एकाएक ऐसा क्या हुआ कि कोरबा में सीएम के निर्देश की धज्जियां उड़ाई जा रही है। सिंडीकेट बनाकर रेत की चोरी करने वालों पर शिकंजा नहीं कसा जाना एनजीटी के निर्देशों का भी उल्लंघन है।
    0 प्रतिबंध अवधि में नाका पर ताला लगाने की फुर्सत नहीं
    कोरबा जिले के खनिज विभाग का काम बड़ा ही संदेहास्पद है। पूर्व के अधिकारियों ने जहां मोतीसागरपारा घाट को रेत चोरों के लिए खुला छोड़ रखा था, वहीं यह दरियादिली वर्तमान अधिकारी भी दिखा रहे हैं। घाट के प्रवेश द्वार पर ही नाका बनाया गया है। कायदे से इस नाका को ताला लगाकर सील करना चाहिए और प्रतिबंध खत्म होने के बाद ही यह सील खोलना चाहिए। पूर्व के अधिकारियों की मेहरबानी इस कदर रही कि उन्होंने रेत घाट में ही नदी की भूमि पर रेत भंडारण की अनुमति प्रदान कर दी। अब जब जिम्मेदार लोग ही खजाना लुटाने में लगे रहेंगे तो भला लूटने वाले का क्या? भंडारण की रेत पहले तो कभी खत्म होती ही नहीं थी और जब परिस्थितियां बदली और गलती उजागर हुई तो उसे सुधारने और नाका को सील करने की बजाय आज भी खुला रखा गया है।
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