नवरात्रि के दौरान गरबा का क्रेज हर किसी के चेहरे पर साफ नजर आता है। लोग हफ्तों पहले रंग-बिरंगे कपड़ों से लेकर गरबा नाइट में डांस करने तक की तैयारियां करना शुरू कर देते हैं। बहुत से लोग तो ऐसे हैं जो नवरात्रि का इंतजार ही इसलिए करते हैं क्योंकि इस दौरान उन्हें गरबा खेलने, रंग-बिरंगे कपड़े पहनने की अवसर मिलेगा। गरबा और डांडिया खेलने की परंपरा वर्षों पुरानी है। लेकिन क्या आप वाकई जानते हैं नवरात्रि में आखिर क्यों खेला जाता है गरबा और मां शक्ति से कैसे जुड़ा है ये डांस।आइए जानते हैं आखिर क्या है इसके पीछे की असली वजह।
गरबा और नवरात्रि का कनेक्शन- नवरात्र के 9 दिन में मां को प्रसन्न करने के अलग-अलग उपायों में से एक उपाय नृत्य भी है। शास्त्रों में नृत्य को साधना का एक मार्ग बताया गया है। गरबा नृत्य के माध्यम से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए देशभर में इसका आयोजन किया जाता है।
‘गरबा’ का असली मतलब- गरबा का शाब्दिक अर्थ है गर्भ दीप। गर्भ दीप को स्त्री के गर्भ की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है। इसी शक्ति की मां दुर्गा के स्वरूप में पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के घड़े में बहुत से छेद करके इसके अंदर एक दीपक प्रज्वलित करके रखा जाता है। इसके साथ चांदी का एक का सिक्का भी रखते हैं। इस दीपक को ही दीप गर्भ कहा जाता है।
तीन तालियों का रहस्य- गरबा नृत्य के दौरान महिलाएं 3 तालियों का प्रयोग करती हैं। ये 3 तालियां इस पूरे ब्रह्मांड के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित होती हैं। गरबा नृत्य में ये तीन तालियां बजाकर इन तीनों देवताओं का आह्वान किया जाता है। इन 3 तालियों की ध्वनि से जो तेज प्रकट होता है और तरंगें उत्पन्न होती हैं, उससे शक्ति स्वरूपा मां अंबा जागृत होती हैं।
कैसे खेलते हैं गरबा?-गरबा खेलते समय महिलाएं और पुरुष ताली, चुटकी, डांडिया और मंजीरों का उपयोग करते हैं। ताल से ताल मिलाने के लिए महिलाएं और पुरुषों का दो या फिर चार का समूह बनाकर नृत्य किया जाता है।
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