माता दुर्गा प्रकृति के नियमों को न मानने वालों का करती है संहार : विश्वराजा तीर्था

दंतेवाड़ा, 28 सितंबर। जिले के बारसूर में नवरात्रि के पावन अवसर पर कर्नाटक से आये स्वामी विश्वराजा तीर्था पीठाधीश्वर, उड्डूप्पी मठ कर्नाटक ने माता दुर्गा की विशेषताओं के विषय पर विस्तार से सारगर्भित जानकारी प्रदान की। इस दौरान सुकमा से मनोज देव सहित बारसूर से जगत सिंह पुजारी, भुवनेश्वर भारद्वाज, पारस ठाकुर, विनोद सिंह, उदय नाग, सुखनाथ यादव सहित सैकड़ो की संख्या में भक्तों ने माता दुर्गा की अमृत कथा का श्रवण किया।बारसूर के प्राचीन मावली मंदिर में सैकड़ों भक्तों को माता दुर्गा की महिमा के बारे में स्वामी तीर्था ने कहा कि माता दुर्गा प्रकृति की वह अपराजित शक्ति हैं, जो प्रकृति के नियमों के विरूद्ध जाने वालों को रोकती है।

प्रकृति के आदि से आसुरी प्रवृत्ति के लोग महिषासूर, रक्तबीज, शुम्भ-निशुम्भ एवं अन्य राक्षस जिनका माता ने संहार किया वे भगवान के बताए मार्ग से इस मायारूपी संसार से बाहर जाने को कभी भी तैयार नहीं हुए और ब्रह्मा, शिवजी को प्रसन्न कर प्राप्त वरदान का दुरूपयोग करते हुए भवसागर पार जाने का प्रयास करते रहे, किन्तु प्रकृति के मायारूपी दुर्ग से बाहर जाने का एकमात्र भक्ति मार्ग ही होता है, और जो इसे छोडक़र अन्य मार्ग से जाने का प्रयास करता है उसे प्रकृति के दुर्ग की स्वामिनी माता दुर्गा रोकती हैं और नही मानने पर उनके वरदान में निहित कमीं खोजकर उनका संहार अवश्य करती है। उन्होने बताया कि आज तक कोई असुर प्रकृति के नियम तोडक़र जीवित नहीं रहा। नवरात्रि के पावन अवसर पर हमें अपने भीतर स्थित असुर शक्तियों को पराजित कर सकने का विचार रखते हुए मां दुर्गा से वर प्राप्त करने का प्रयत्न सच्चे हृदय से करना चाहिए।

नवरात्रि के अवसर पर बारसूर के मावली माता मंदिर में कुल 75 ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं। मावली माता मंदिर में प्रतिदिन प्रात:-सायं की आरती में सैकड़ों ग्रामीण जुटते हैं।