Navratri 2022 : सैकड़ों बेटियों को निडरता का पाठ सिखा रहीं कुमकुम

Navratri 2022: धार शहर निवासी 18 साल की कुमकुम श्रीवास्तव परिवार की शान हैं। उन्होंने 11 वर्ष की उम्र से ही आत्मनिर्भर बनने की ठान ली थी। इसके चलते कुमकुम ने सबसे पहले किक बाक्सिंग सीखने की शुरुआत की, फिर कराटे का प्रशिक्षण लिया। पिता साप्ताहिक हाट में दुकान लगाते हैं और माता गृहिणी हैं। माता- पिता ने कभी नहीं सोचा था कि कुमकुम उनके लिए पहचान बन जाएगी। साथ ही 250 से अधिक लड़कियों की प्रशिक्षक बनकर उन्हें भी आत्मनिर्भर बनाएगी। महज 11 साल की उम्र में कुमकुम ने पारिवारिक स्थिति को देखकर यह तय कर लिया था कि जल्द ही आत्मनिर्भर होगी।

इतना ही नहीं वे इस बात को भी समझती थीं कि समाज में निडर होकर रहना होगा, इसलिए अपने आपको पहचाना और प्रतिभा के अनुसार किक बाक्सिंग के क्षेत्र में 2015 में कदम रख दिया। उसके बाद कराटे में भाग्य आजमाया। उसमें वे सफल रहीं। चार राज्य स्तरीय कराटे प्रतियोगिता में तीन गोल्ड मेडल प्राप्त किए। नेशनल स्तर पर भी मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया।, वहीं स्कूल गेम्स के नेशनल गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर प्रदेश में पहचान बनाई। साधारण-सा कारोबार करने वाले पिता जितेंद्र श्रीवास्तव और माता अनीता श्रीवास्तव की तो जिंदगी में खुशियां आ गई। उन्हें लगा कि यह बेटी उनके लिए गर्व का विषय है। इससे आज उनकी अलग ही पहचान है। यहां तक का सफर बड़ी कठिनाइयों के साथ तय किया।

कुमकुम ने कराटे प्रशिक्षक शालिनी मिश्रा के माध्यम से अभ्यास कर अपने आपको विशेष मुकाम पर पहुंचाने का काम किया। देशभक्ति का जज्बा है कि नेशनल कैडेट कोर्स में भर्ती होकर अपने आपको योद्धा के तौर पर तैयार करने का काम किया। कुछ वर्षों से प्रशिक्षक के साथ उनकी सहयोगी बनकर कुमकुम ने अतिरिक्त गुरु सीखे।

आज स्थिति यह है कि कुमकुम धार के कन्या महाविद्यालय सहित तीन संस्थाओं में ढाई सौ से अधिक युवतियों व बालिकाओं को कराटे का प्रशिक्षण दे रही हैं। इसमें बड़ी बात यह है कि दो-तीन महीने बाद कुमकुम 10-10 मास्टर ट्रेनर को तैयार कर समाज में आत्मरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए अपने से अधिक उम्र की बेटियों को तैयार कर समाज में विशेष संदेश देगी।