सेहत के साथ आमदनी का जरिया बना बाड़ी विकास योजना


0.हरी सब्जियों से गांवों में बढ़ी पोषक आहारों की उपलब्धता


रायगढ़, 21 सितम्बर(वेदांत समाचार)। शासन की सुराजी ग्राम योजना के चार घटकों में से एक बाड़ी कई मायनों में महत्वपूर्ण साबित हो रही है। बाड़ी विकास से जहां आज गांवों में हरी ताजी सब्जियों की सुलभ उपलब्धता से लोगों की सेहत बन रही है तो दूसरी ओर समूहों के आय में भी वृद्धि हो रही है। शासन द्वारा व्यक्तिगत एवं सामुदायिक बाड़ी विकसित किए जा रहे हैं। जिसकी देखरेख महिलाओं के कंधे पर है। जिससे बाड़ी में कार्यरत महिला समूहों को सब्जियों के साथ अतिरिक्त आय की प्राप्ति हो रही है।


रायगढ़ के ग्राम भिखारीमाल में उद्यानिकी विभाग के द्वारा लगभग 01 एकड़ में बाड़ी विकसित किया गया। जिसकी पूरी देखभाल की जिम्मेदारी महिला समूह की है। समूह की श्रीमती भगवती महार कहती है कि समूह द्वारा वर्मी खाद बनाया जा रहा है। जिससे समूह की अच्छी आमदनी हो जाती है। लेकिन उद्यानिकी विभाग द्वारा बाड़ी विकास अंतर्गत जब बाड़ी विकसित कर किट के साथ मार्गदर्शन दिया तब उन्हें बाड़ी में भी कार्य करने की रुचि हुई। जिसके पश्चात शारदा स्व-सहायता समूह की आधा दर्जन महिलाओं ने बाड़ी में कार्य करना प्रारंभ किया। शुरूआत में ही उन्होंने बैगन, कुंदरू, खीरा, कद्दू जैसे विभिन्न सब्जियों की फसल ली। जिसका स्थानीय स्तर पर अच्छी खपत हुई। इसके अलावा कई सब्जियों को व्यवसायियों द्वारा भी उठाव किया गया।

जिससे समूह को शुरुआती दौर में 15 से 20 हजार की आमदनी प्राप्त हुई है। लिहाजा समूह इस बार आमदनी बढ़ाने की दिशा में कार्य करते हुए, अधिक मांग वाली सब्जियों को बाड़ी में प्राथमिकता दे रहे है। जिससे अतिरिक्त आमदनी को बढ़ाया जा सके। इस बार स्व-सहायता समूह लौकी, कुदरु, कोचई, हल्दी एवं भाजी किस्म की सब्जियां लगाई है। समूह के सदस्यों का कहना है वर्मी खाद बनाने के बाद कुछ सदस्य बाड़ी में कार्य कर आज वर्मी विक्रय कर के साथ सब्जियां बेच कर अतिरिक्त आय से खुश हैं। आगामी दिनों में आय बढ़ाने के लिए बाड़ी क्षेत्र विस्तार करना चाहती है, जिससे सब्जियों में विविधता के साथ आय में वृद्धि हो सके।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]