सरगुजा,25 नवंबर 2024 । छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि मानव तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) समाज के लिए एक कलंक है। इससे निपटने के लिए निवारक रणनीति विकसित करनी होगी और न्यायपालिका को प्रभावी तरीके से कार्य करना होगा।सरगुजा जिले में न्यायिक अधिकारियों की डिवीजनल सेमीनार में उपस्थित न्यायिक अधिकारियों को चीफ जस्टिस ने वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। चीफ जस्टिस की चिंता मानव तस्करी को लेकर सबसे ज्यादा दिखी। उन्होंने कहा कि मानव तस्करी इस क्षेत्र के लिए बहुत ही मार्मिक व ज्वलंत मुद्दा है जिसके लिए तत्काल व्यापक विधिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
मानव तस्करी एक गंभीर अपराध व समाज के लिए कलंक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सेमीनार इस विषय में लोगों के ज्ञान को बढ़ाएगा और इस तरह के गंभीर अपराध के रोकथाम के लिए निवारक रणनीति विकसित करने तथा अपराध के प्रति प्रभावी प्रतिक्रिया तैयार करने में सहायक होगा। सरगुजा संभाग के जिले सरगुजा, जशपुर, सूरजपुर, कोरिया (बैकुण्ठपुर), बलरामपुर रामानुजगंज के न्यायिक अधिकारियों का डिवीजनल सेमीनार छ.ग. राज्य न्यायिक अकादमी के बैनर तले आयोजित किया गया।
चीफ जस्टिस ने कहा कि जिला न्यायपालिक पक्षकारों से सबसे पहले में आती है, इसलिए हमारी ये सामूहिक जिम्मेदारी है कि न्यायपालिका के न्यायाधीश विधि में अपडेट रहें और उन्हें नवीनतम न्याय दृष्टान्तों एवं विधि व अवधारणाओं के संबंध में अकादमिक सहयोग मिले और सुसंगत पठन सामग्री और डेटाबेस उपलब्ध रहे। सीजे ने कहा किन्यायिक अधिकारियों का डिवीजनल सेमीनार वास्तव में विशिष्ट भौगोलिक संभाग के न्यायिक अधिकारियों को उनके न्यायिक कर्तव्य से संबंधित महत्वपूर्ण कानूनी विषयों व समकालीन मुद्दों पर चर्चा व विचार-विमर्श करने के लिए एक विशिष्ट मंच प्रदान करता है। इस प्रकार के मंच कानूनी ज्ञान को बढाने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और एक-दूसरे से सीखने के महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करते हैं। डिवीजनल सेमीनार संभाग के विभिन्न जिलों के न्यायिक अधिकारियों को एक साथ लाकर विचारों व अभिनव समाधानों के आदान-प्रदान को बढावा देता है और सुनिश्चित करता है कि न्यायिक अधिकारीगण वर्तमान् चुनौतियों का समाधान करने और न्यायिक प्रणाली की समग्र दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार करने के लिए सुसज्जित रहें।
संभागीय सेमीनार में इन विषयों पर हुई चर्चा
चीफ जस्टिस ने कहा किडिवीजनल सेमीनार के लिए उत्तराधिकार विधि, अरेस्ट, रिमाण्ड, बेल, डिकी का निष्पादन, कमीशन रिपोर्ट व मानव तस्करी रखे गए हैं वह सभी महत्वपूर्ण विषय हैं जिनका सामना न्यायिक अधिकारियों को करना पड़ता है। इनमें से प्रत्येक विषय हमारी दैनिक न्यायिक कार्यवाही के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। इन विषयों पर गहन विचार-विमर्श और विधि की समझ निश्चित तौर पर न्यायिक अधिकारियों को उनकी भूमिका के निर्वहन के लिए पहले से ज्यादा दक्ष बनाएगी जो अंतत: न्याय को बढ़ावा देगी और हमारे सामाजिक ताने-बाने को मजबूती प्रदान करेगी ।
डिजिटल होती दुनिया में तकनीकी ज्ञान व समझ जरुरी
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा किबहुत तेजी से डिजिटल होती दुनिया में तकनीकी ज्ञान और समझ बहुत ही महत्वपूर्ण है और तकनीकी में दक्षता विकसित कर न्यायिक अधिकारी अपने संसाधनों का पूरा लाभ उठा सकते हैं। तकनीकी की बुनियादी समझ भी परिवर्तनकारी हो सकती है और इससे न्यायिक अधिकारी परिणामों को प्रभावी ढंग से अनुकूलित कर सकते हैं और सुनिश्चित कर सकते हैं कि न्याय जमीनी स्तर पर पहुंचे और हर व्यक्ति को सुलभ हो।
अब चौबीस घंटे अपडेट
पहले रिसर्च वर्क के लिए लाइब्रेरी में बहुत समय बिताना पड़ता था परन्तु अब ला वेबसाइट आनलाइन कानूनी डेटा बेस जैसे एसएससी आनलाइन, ला ट्रेंड, लाइव ला जैसे डिजिटल व तकनीकी संसाधनों से हम लाभान्वित हो सकते हैं। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की छत्तीसगढ के न्यायिक अधिकारी उक्त एसएससी आनलाइन, ला ट्रेंड, लाइव ला जैसे डिजिटल व तकनीकी संसाधनों से लैस हैं।
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