आरंग ,20 सितम्बर। राष्ट्रीय पोषण माह कार्यक्रम के अंतर्गत जिले की समस्त आंगनबाड़ी पर बच्चों को पोषण आहार बना कर खिलाने के लिये हर रोज नया जतन किया जा रहा है। केंद्रों पर गतिविधि आधारित कार्यक्रम चलाकर बच्चों में भोजन करने के प्रति रुचि पैदा करने के उद्देश्य से बच्चों के लिये तरह तरह की गतिविधि की जा रही है। इसी कड़ी में भानसोज की आंगनबाड़ी केंद्र खम्हरिया 1 और खम्हरिया 2 ने मिलकर फायर लेस कुकिंग करवाकर नन्हे मास्टर शेफ से मजेदार भोजन बनवाया।
नन्ही मास्टर शेफ रूपाली निर्मलकर बताती हैं: “आज भोजन बनाने में मुझे बहुत मजा आया, मैं चपाती रोल बनाकर खुद ही खा गई मेरे दोस्त मुझे देखते रहे और इंतजार करते रहे कि मैं उनको भी दूंगी। मैंने थोड़ा सा भी नहीं बचाया मैं सारा खा गई, मुझे चपाती रोल बहुत अच्छा लगा।“
इस सम्बन्ध में भानसोज सेक्टर की पर्यवेक्षक ऋतु परिहार बताती है, “आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों के साथ आंगनबाड़ी केंद्र खम्हरिया क्रमांक 1 और 2 की कार्यकर्ता निर्मला निषाद और सुनीता वर्मा ने राष्ट्रीय पोषण माह के तहत बच्चों में भोजन करने के प्रति रुचि पैदा करने के उद्देश्य से बच्चों के ही द्वारा फायर लेस कुकिंग जैसी गतिविधि करते हुए बच्चों से चपाती रोल बनवाएं जिसमें आलू मसाला, टमाटर की मीठी चटनी, प्याज, धनिया पत्ती का उपयोग करते हुए चपाती में आलू का मसाला लगाकर उसके ऊपर टमाटर की चटनी लगाई प्याज धनिया पत्ती डालकर रोल बनाया और मजे से बच्चों ने खाया। वही कुछ नन्हे मास्टर शेफ ने खीरा, गाजर, मूली, भीगा चना, टमाटर, शिमला मिर्च, नींबू, को सलाद के रूप में बनाकर खाया।“
फायर लेस कुकिंग करने का उद्देश्य बच्चों को जोखिम से दूर रखना और खाने में ही उन्हें उनकी पसंद की चीजों को डालने का अनुभव कराना और उन्हें उनको खाने के लिए प्रेरित करना है। इसी तरह बूंदी रायता में उन्होंने बूंदी, दही, नमक, जीरा पाउडर ,मिर्च पाउडर मिलाकर रायता तैयार किया और मजे से खाया गया। इस दौरान जो भी गतिविधि की गई वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के देखरेख में की गई ताकि बच्चों को किसी भी प्रकार के जोखिम से दूर रखा जाए।
पूरी गतिविधियों में विशेष बात यह रही कि कहीं भी फायर (आग) का उपयोग नहीं किया गया और सुरक्षित तौर पर ही पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया। इन सब गतिविधियों को करने का उद्देश्य बच्चों की सेहत का ध्यान रखना और उन्हें गतिविधियों के माध्यम से पोषक भोजन खाने के लिए प्रेरित करना है। सहायिका गौरी निर्मलकर के सहयोग से रूपाली निर्मलकर ने रोटी रोल, रेशमा निषाद ने सलाद और पूर्वी निषाद ने रायता बनाया।
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