छत्तीसगढ़ की पहली कला वीथिका देखकर अभिभूत हुए मुख्यमंत्री, कहा छत्तीसगढ़ी कला को सुंदर अभिव्यक्ति मिली

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी कला वीथिका सोनाबाई रजवार कला वीथिका के लोकार्पण के मौके पर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने इस दौरान यहां प्रदर्शित की गई कलाकृतियां देखी। मुख्यमंत्री ने कला वीथिका में छत्तीसगढ़ की संस्कृति के प्रदर्शन पर विशेष रूप से खुशी जताई। उन्होंने कहा कि आप लोगों ने कला वीथिका में छत्तीसगढ़ की सुंदर परंपरा दिखाई है। छत्तीसगढ़ कला के क्षेत्र में बेहद समृद्ध रहा है चाहे सरगुजा की कला हो या बस्तर की कला, हमारी कला शानदार रही है।

  मुख्यमंत्री ने कहा कि आप लोगों ने यहां ग्राफिक डिजाइन विभाग में छत्तीसगढ़ी परिधानों और ज्वैलरी को जिस तरह से प्रस्तुत करने का कार्य किया है वह बहुत अच्छा है, इसमें आगे काफी गुंजाइश है।मुख्यमंत्री विशेष रुप से बस्तर की कलाकार छात्रा मुस्कान पारख से प्रभावित हुए, मुस्कान ने चटाई में घोटुल का चित्र बनाया था। मुख्यमंत्री को इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती मोक्षदा चंद्राकर ने बताया कि यह कलाकृति बस्तर में बस्तर में घोटुल की परंपरा से प्रेरित है और इसमें एक छोटे से चित्र के माध्यम से बस्तर की सुंदर और समृद्ध लोक जीवन को दिखाया गया है। उल्लेखनीय है कि मुस्कान ने चटाई में आदिवासी लोक कला का प्रदर्शन किया है और घोटुल को दिखाया है। इसमें उन्होंने बताया है कि किस प्रकार बस्तर में घोटुल में अपने प्रियजनों को डिज़ाइनर कंघी देने की परंपरा थी। जिस तरह अभी के समय में प्रियजनों का गुलाब देकर स्वागत करते हैं। जितनी सुंदर कंघी होगी प्रियजन को यह उपहार इतना ही पसंद आएगा।उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय श्रीमती सोनाबाई रजवार छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोककलाकार थीं। भारत भवन के लिए जब प्रख्यात चित्रकार स्वामीनाथन सुंदर कलाकृतियों का संग्रह कर रहे थे तब वे स्वयं सोनाबाई से मिलने आये।सोनाबाई का अधिकांश समय घर आंगन में ही गुजरा और इस दुनिया का सूक्ष्म अवलोकन कर उन्होंने चित्र में उतार दिया।आज प्रदेश की सबसे बड़ी कला गैलरी का नाम उनके नाम पर रखकर कला जगत की इस विभूति का बड़ा सम्मान हुआ है।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]