एजेंसी। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि वह कभी दिल्ली के पंडारा रोड इलाके में गुप्त रूप से रहती थीं। उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में इसलिए रहती थी, क्योंकि उनकी जान को खतरा था। उन्होंने सोमवार को चार दिवसीय भारत यात्रा पर जाने से पहले करीब 5 दशक बाद इस बात का खुलासा किया।
1975 में परिवार से आखिरी बार मुलाकात
शेख हसीना ने उन घटनाओं को याद किया, जब जर्मनी में अपने परमाणु वैज्ञानिक पति के लिए उन्होंने 1975 में बांग्लादेश छोड़ा था। वह 30 जुलाई, 1975 का दिन था और उन्हें विदा करने के लिए उनके परिवार एयरपोर्ट पर आए थे। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि यह उनके माता-पिता के साथ उनकी आखिरी मुलाकात होगी। शेख हसीना ने कहा, ‘मेरे पति विदेश में थे। मैं माता-पिता के साथ रहती थी। उस दिन परिवार के सभी लोग मुझे विदा करने के लिए एयरपोर्ट आए थे। मैं सबसे मिली और वह आखिरी दिन था।’
दिल्ली के पंडारा रोड में रहती थीं शेख हसीना
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत मदद देने वाले पहले देशों में से एक था। उन्होंने कहा, ‘श्रीमती इंदिरा गांधी ने तुरंत सूचना भेजी कि वह हमें सुरक्षा और आश्रय देना चाहती हैं। हमने दिल्ली वापस आने का फैसला किया क्योंकि हमारे मन में था कि अगर हम दिल्ली गए तो दिल्ली से हम अपने देश वापस जा सकेंगे। और तब हम यह जान पाएंगे कि परिवार के कितने सदस्य अभी भी जीवित हैं।’
शेख हसीना ने कहा कि शायद 24 अगस्त को इंदिरा गांधी ने हमें बुलाया। वहां हमें पता चला कि परिवार में कोई जीवित नहीं है। फिर उन्होंने हमारे लिए सारा इंतजाम किया, मेरे पति के लिए नौकरी और पंडारा रोड में घर। हम वहीं रुके। शुरुआत के 2-3 साल में यह स्वीकार करना काफी मुश्किल था।
पूरे परिवार की कर दी गई हत्या
शेख हसीना ने कहा कि 15 अगस्त को उन्हें पता चला कि उनके पिता महान राजनेता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान नहीं रहे, जिसपर विश्वास करना मश्किल था। उन्होंने कहा, ‘यह वास्तव में अविश्वसनीय था। क्या कोई बंगाली ऐसा कर सकता है। फिर भी हम नहीं जानते थे कि वास्तव में क्या हुआ। केवल तख्तापलट हुआ, और फिर हमने सुना कि मेरे पिता की हत्या कर दी गई थी। लेकिन हम नहीं जानते थे कि परिवार के सभी सदस्यों की हत्या कर दी गई है।’
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