आकांक्षी जिला कोरबा में तकनीकी अमला विहीन आदिवासी विकास विभाग नगर निगम के सब इंजीनियर पर मेहरबान, एक के भरोसे छोंड़ दिया…विभागीय मद से स्वीकृत ग्रामीण क्षेत्रों के 28 करोड़ के 18 हॉस्टल भवन निर्माण

गुणवत्ता पर लग रहे प्रह्नचिन्ह !बोले रामपुर विधायक ननकीराम ,निगम का इंजीनियर 100 किलोमीटर दूर ग्रामीण क्षेत्रों में कैसे करेंगे मॉनिटरिंग ,आरईएस को देना चाहिए काम

कोरबा, 18 अगस्त । आकांक्षी जिला कोरबा में आदिवासी विकास विभाग नगर निगम के उधार के ईई (कार्यपालन अभियंता ) एवं सब इंजीनियर (उप अभियंता ) के भरोसे चल रहा। उसमें भी अफसरों की ऐसी माया है कि विभागीय मद से 28 करोड़ की लागत से स्वीकृत ग्रामीण क्षेत्रों के 18 छात्रावास भवन निर्माण के काम एकमात्र सब इंजीनियर के भरोसे छोंड़ दिया गया। जिला मुख्यालय के दफ्तर में बैठकर शहर से 100 किलोमीटर दूर निर्माणाधीन हॉस्टल भवनों के मॉनिटरिंग किए बिना स्टीमेट के आधार पर बिल तैयार किए जा रहे।जिससे शुरूआती दौर से ही निर्माणाधीन हॉस्टल भवन के गुणवत्ता पर प्रह्नचिन्ह लग रहे।

आदिवासी बालिकाओं के शिक्षा के लिए शासन सतत प्रयत्नशील है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने उनके आवासीय शिक्षा पर भी जोर दे रही है। आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित आश्रम छात्रावास इन्हीं व्यवस्थाओं में से एक हैं। जिसकी मंशा घर से परिजनों से दूर रहने के बाद भी बच्चों को हॉस्टल में घर की तरह भोजन ,चिकित्सा से लेकर हर संभव सुविधाएं मुहैय्या कराना है। इसकी संचालन का दायित्व आदिवासी विकास विभाग को दी गई है। लेकिन देश के 110 पिछड़े जिलों में शामिल आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में आदिवासी विकास विभाग का निर्माण अमला अमले की कमी से जूझ रहा। विभाग ईई व सब इंजीनियर के भरोसे चल रहा। हालात यह है कि विभाग को नगर निगम के उधार के ईई व सब इंजीनियर से काम लेना पड़ रहा। लेकिन पिछले एक साल में करोड़ों की मरम्मत एवं हाल ही में ग्रामीण क्षेत्रों में विभागीय मद से प्रति भवन 1 .60 करोड़ की लागत से स्वीकृत 28 करोड़ के 18 छात्रावास भवन का निर्माण कार्य सबसे ज्यादा सुर्खियों में है। जी हां ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रावासी बालिकाओं को सुरक्षित ,सुव्यवस्थित गुणवत्तापूर्ण पक्की भवन देने राज्य शासन ने दिल खोलकर राशि स्वीकृत की जा रही । ताकि बच्चों की सुविधाओं में कहीं कोई कमी न रहे। लेकिन विभाग ने तकनीकी अमले के कमी की आड़ में स्वार्थसिद्धि का ऐसा तरीका ढूंढ निकाला कि नगर निगम के एकमात्र सब इंजीनियर के भरोसे जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर वनांचलों में स्वीकृत हॉस्टल भवन निर्माण का काम छोंड़ दिया गया।विभाग को ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कार्य कराने वाले पूर्ण तकनीकी अमले वाले पीडब्ल्यूडी या आरईएस के अमले पर भरोसा नहीं रहा। अभी शुरुआती दौर में सभी निर्माणाधीन भवन प्लिंथ लेवल पर हैं। लेकिन जिस तरह नगर निगम के सब इंजीनियर जिसके भरोसे ऑलरेडी नगर निगम के कार्यों की अधिकता है उनके भरोसे आदिवासी विकास विभाग के करोड़ों के काम दिए जाने से शुरूआती दौर से ही गुणवत्ता पर प्रह्मचिन्ह लग रहे। प्रकरण में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग माया वॉरियर एवं निगम आयुक्त प्रभाकर पांडेय से फोन पर सम्पर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई। सम्पर्क स्थापित नहीं होने की वजह से उनका पक्ष नहीं आ सका है।

दफ्तर में बैठे कर रहे सुपरविजन ,स्टीमेट के आधार पर बन रहा बिल

अब उधार के कर्मी कामकाज में नरमी तो दिखाएंगे ही वो भी जब कार्यों का इतना अधिक भार डाल दिया जाए तो यह लाजिमी है। आदिवासी विकास विभाग के हॉस्टल भवन निर्माण की हमने रामपुर विधानसभा में स्वीकृत कार्यों का मौके पर जाकर पड़ताल की । जहां गोढ़ी एवं कोरकोमा पहुंचने पर ग्रामीणों सहित जनप्रतिनिधि ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने लंबे समय से किसी अधिकारी को नहीं देखा। कमोबेश यही हाल धनगांव का भी है। अब जब शहर से 25 किलोमीटर की दूरी में लगे हॉस्टल भवनों का ये हाल है तो करीब 100 किलोमीटर के फासले पर पसान ,सेन्हा ,चोटिया में तैयार किए जा रहे हॉस्टल भवन निर्माण की क्या स्थिति होगी। दफ्तर में बैठकर स्टीमेट के आधार पर मनमाने तरीके से बिल बनाकर फर्म विशेष को लाभ पहुंचाए जाने का खमियाजा कहीं आगामी भविष्य में छात्रावास में रहने वाले बच्चों को न भुगतना पड़े। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार ये वही सब इंजीनियर हैं जिनके द्वारा हाल ही पहली बरसात में शहर में पूरी तरह उखड़ चुकी डीएमएफ के करोड़ों की लागत से स्वीकृत गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण का कार्य कराया गया। अगर जल्द अमले बढाकर अन्य सब इंजीनियर को काम नहीं सौंपे गए तो निगम के सड़कों की जैसे बदहाली की कहानी कहीं हॉस्टल भवन निर्माण में रिपीट होने में देर न लगेगी।

एसडीओ को तीन जिले का प्रभार ,बिना साईड में गए ,दफ्तर में बैठे करते हैं सत्यापन

आदिवासी विकास विभाग के पास विभागीय एसडीओ तो हैं। लेकिन उन्हें कोरबा सहित जांजगीर रायगढ़ जिले का प्रभार दिया गया है। अब तीन तीन जिलों का प्रभार एक के भरोसे हो तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कार्यों का किस तरह सत्यापन हो रहा होगा। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार एसडीओ भी दफ्तर में बैठे बैठे सत्यापन कर रहे।

तो पिछले एक साल के समस्त कार्यों की जांच कराए प्रशासन

जिस तरह निगम के एक सब इंजीनियर के भरोसे हॉस्टल भवन निर्माण का मामला प्रकाश में आया है। उससे कहीं न कहीं विभाग के अन्य कार्यों की भी जांच की नितांत आवश्यकता है।सूत्रों के अनुसार हाल ही में करोड़ों के मरम्मत के कार्य बिना निविदा के कराए गए। सूत्रों के अनुसार वैसे मरम्मत के कार्यों की निविदा में भागीदार चाहे जितने भी हों काम विशेष कृपा पात्र वालों को ही मिलता है। जिला प्रशासन को चाहिए कि वो आदिवासी विकास विभाग में पिछले एक साल में कराए गए समस्त निर्माण कार्यों की विशेष टीम गठित कर समस्त निविदा प्रकिया ,क्रय प्रक्रिया ,देयक ,मूल्यांकन पत्रक की जांच कराए। क्योंकि पूर्व में आदिवासी विकास विभाग पर डीएमएफ सहित विभागीय मद के करोड़ों कार्यों में अनियमितता के आरोप लग चुके हैं। निसंदेह इससे एक बड़ी अनियमितता उजागर होगी।

यहां यहां चल रहे छात्रावास भवन निर्माण ,एक फर्मों को कई काम

जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 18 छात्रावास भवन तैयार किए जा रहे। उनमें एक फर्म को एक से अधिक कार्य भी मिला है। जिन क्षेत्रों में हॉस्टल भवन स्वीकृत हुए हैं उनमें मदनपुर, कोरकोमा ,चोटिया,पाली करतला कुदमुरा अरदा , भैसमा ,धनगांव, सेन्हा, गोढ़ी ,कुदुरमाल पसान एवं हरदीबाजार सिंधिया , हरदीबाजार 2 ,रंजना में कराया गया है।

बोले रामपुर विधायक ननकीराम ,ग्रामीण क्षेत्रों का आरईएएस को देना चाहिए था काम

मामले में पूर्व गृहमंत्री व रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने भी हैरानी जताई। उन्होंने भी इस बात में हामी भरी कि आखिर नगर निगम क्षेत्र का इंजीनियर सैकड़ों किलोमीटर दूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वीकृत निर्माण कार्यों की किस तरह मॉनिटरिंग करेगा। उन्होंने प्रकरण की पूरी जानकारी लेकर जांच कराने सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आरईएस को काम दिए जाने की बात कही।