अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री समेत सभी बड़े नेताओं ने श्रध्दांजलि देकर किया याद

भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज चौधी पुण्यतिथि है, इसलिए इस मौके पर उन्हें हर कोई याद कर रहा है.

भारत के सभी बड़े पदों पर विराजमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई गणमान्य लोगों ने उनकी समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की है. इन लोगों के अलावा देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी शामिल रहे.

बता दें कि स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर के पास एक गांव में हुआ था. वे देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे थे. पहली बार वे 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने, उसके बाद फिर 1998 में 13 महीने के लिए और सबसे अंत में 1999 से 2004 तक उन्होंने पूरे पांच साल देश के प्रधानमंत्री के तौर पर कार्य किया.

 

 

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जानकारी के लिए आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी के 1999 से 2004 के कार्यकाल के दौरान देश में परमाणु ऊर्जा का सफल परीक्षण हुआ था. अटल बिहारी वाजपेयी को देशहित में योगदान के लिए 2015 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था.

 

कहां हुई थी वाजपेयी की शिक्षा दीक्षी

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर में हुआ था. इनके पिताजी ग्वालियर में शिक्षक थे, इसलिए वाजपेयी की शिक्षा ग्वालियर में ही पूरी हुई थी. अटल बिहारी वाजपेयी की ग्रेजुएशन की पढ़ाई ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से हुई थी, जिसे अब महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज के नाम से जाना जाता है. ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद ये कानपुर चले गए, वहां पर इन्होंने डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एमए किया और उसके बाद LLB की पढ़ाई करने में लग गए. अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में कहा जाता है कि LLB की पढ़ाई इन्होंने अपने पिताजी के साथ में सहपाठी के रुप में की थी.

 

कैसे हुई थी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत

अटल बिहारी वाजपेयी अपने छात्र जीवन के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े हुए थे और जनसंघ की स्थापना के दैरान वे संस्थापकों में से एक थे. वह 1968 से 1973 तक जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. 1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. इसके बाद 1957 में यूपी के बलरामपुर सीट से बतौर जनसंघ प्रत्याशी उन्होंने जीत हासिल की और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के कार्यकाल के दौरान पहली बार लोकसभा के सदस्य बनें.