मथुरा के इन मंदिरों में दिन में मनाई जाती है जन्माष्टमी, जानें क्या हैं परंपरा

देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी रात में मनाने की परंपरा है। लेकिन मथुरा के वृंदावन स्थित तीन मंदिर ऐसे भी हैं जहां दिन में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।

देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी रात में मनाने की परंपरा है। लेकिन मथुरा के वृंदावन स्थित तीन मंदिर ऐसे भी हैं जहां दिन में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। यहां सारा दिन कृष्ण भक्ति में श्रद्धालु डूबे रहते हैं। इस बार श्रीकृष्ण जन्मष्टमी 19 अगस्त को मनाई जाएगी। 

सप्त देवालयों में शुचिता एवं पवत्रिता के लिए मशहूर राधारमण मंदिर में कृष्ण को दीर्घजीवी होने का आशीर्वाद भी साल में एक बार इसी दिन देते है। मंदिर के सेवायत आचार्य दिनेश चन्द्र गोस्वामी के मुताबिक मंदिर में दिन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने की परंपरा मंदिर के प्रथम सेवायत और संस्थापक गोपाल भट्ट गोस्वामी ने डाली थी।

उनका कहना था कि वास्तव में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी लाला की वर्षगांठ है जो दिन में कभी भी मनाई जा सकती है। उनका यह भी कहना था कि लाला को रात 12 बजे जगाकर जन्माष्टमी मनाना ठीक नही है। उनके द्वारा डाली गई परंपरा का पालन आज भी होता है।

सेवायत आचार्य का कहना है कि इस मंदिर में जन्माष्टमी पर ठाकुर की पूजा 27 मन  दूध, दही, शहद, बूरा, घी, औषधियों और महाऔषधियों से कई घंटे तक चलता है इसके अलावा अभिषेक में गाय के दूध का ही प्रयोग किया जाता है।

साल में केवल एक बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मन्दिर के सेवायत आचार्य लाला को दीर्घ आयु प्राप्त करने का अशीर्वाद देते हैं तथा लाला के काजल के साथ ही डिठौना लगाया जाता है। अभिषेक का कार्यक्रम तीन चार घंटे तक वैदिक मंत्रों के मध्य चलता रहता है।

वृन्दावन के ही राधा दामोदर मंदिर में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दिन में ही मनाई जाती है। इस मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर परंपरागत श्रीकृष्ण जन्म मनाने के साथ ही सेवायत एक दूसरे पर हल्दी मश्रिति दही को एक दूसरे पर डालते हैं। मंदिर के सेवायत बलराम गोस्वामी ने बताया कि जन्माष्टमी पर मन्दिर में उस शिला का भी अभिषेक किया जाता है जिसे भगवान श्यामसुन्दर ने सनातन गोस्वामी को यह कहकर दिया था कि यदि वे इसकी चार परक्रिमा कर लेंगे तो उनकी गिरिराज की एक पूरी परक्रिमा हो जाएगी।

इसके अलावा टेढ़े खम्भेवाला मंदिर के नाम से मशहूर शाह जी मन्दिर में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दिन में ही मनाई जाती है। मंदिर के सेवायत प्रशांत शाह के अनुसार इस मन्दिर की सभी परंपराएं राधारमण मन्दिर की तरह चलती हैं। तीनो ही मंदिरों में दोपहर तक चलनेवाले अभिषेक के बाद चरणामृत को व्रजवासियों एवं तीर्थयात्रियों में बांटा जाता है।

वृन्दावन के ही बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत आचार्य ज्ञानेन्द्र गोस्वामी ने बताया कि जन्माष्टमी की रात श्रीकृष्ण जन्म के बाद रात दो बजे मंगला आरती के दर्शन लगभग पांच मिनट के लिए होते हैं। इसके बाद प्रातः पांच बजे तक मंदिर खुला रहता है। इस मंदिर में मंगला के दर्शन वर्ष में केवल एक बार ही होते हैं। 

मथुरा के केशवदेव, भागवत भवन मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, प्राचीन केशवदेव मंदिर, नन्दबाबा मंदिर, दानघाटी मंदिर गोवर्धन, मुकुट मुखारबन्दि मंदिर गोवर्धन में  जन्माष्टमी का प्रसाद भक्तों में वितरित किए जाने के कारण इन मंदिरों में प्रसाद का बनना अभी से शुरू हो गया है। दूसरी तरफ मथुरा, गोवर्धन, वृन्दावन का बाजार लड्डू गोपाल की आकर्षक पोशाक से भर गया है तथा इन पोशाकों को खरीदने की होड सी लग गई है। 

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