जगदलपुर : जैव-विविधता संरक्षण व सामुदायिक विकास पर तीन दिवसीय कार्यशाला संपन्न

जगदलपुर, 0 8 अगस्त । कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा मैदानी कर्मचारियों के क्षमता विकास के लिए जैव-विविधता संरक्षण और सामुदायिक विकास पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने अतिथियों का स्वागत कर, प्रकृति पूजन के रूप में आंवला पौधे के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला की शुरुआत की थी। यह कार्यशाला वन विद्यालय जगदलपुर में तथा फील्ड विजिट के साथ रविवार को संपन्न हुई।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वन्य जीवन के मुख्य वन संरक्षक अभय श्रीवास्तव की मौजूदगी में विभिन्न विषयों पर प्रकाश डालने के लिए राजीव रंजन, पंचकूला, हरियाणा से, सपना गुप्ता, जियोलॉजी डिपार्टमेंट, शासकीय काकतीय विद्यालय जगदलपुर से, डॉ. विद्याधर अटकोरे, सेकॉन, तमिलनाडु से, सौम्या रंजन, समर्थ चैरिटेबल ट्रस्ट, छत्तीसगढ़ से, अंजार नबी जगदलपुर से, चक्र प्रणव ईस्ट कोस्ट कंजर्वेशन ट्रस्ट विशाखापट्टनम से, डॉ. प्रत्युष मोहापात्रा जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से मौजूद रहे।

इस अवसर पर प्रकृति की रक्षा में नागरिक दायित्व या सामुदायिक हिस्सेदारी के बारे में राजीव रंजन ने साहित्यिक रूप से बताया। वहीं सपना गुप्ता द्वारा कांगेर घाटी के विभिन्न संरचनाओं जैसे गुफा, जलप्रपात एवं जियो-टूरिज्म के बारे में बताया गया। डॉ. विद्याधर ने मीठे पानी के जैव-विविधता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा किया और कांगेर घाटी तथा सम्पूर्ण पर्यावरण के संरक्षण के लिए व्यवहारिक बदलाव पर भी प्रकाश डाला। चक्र प्रणव ने छोटी जंगली बिल्लियों के रहवास व उन्हें पहचानने के तरीकों को समझाया। वहीं सौम्या रंजन द्वारा स्थानीय समुदायों के पर्यावरण संरक्षण में योगदान के बारे में बताया गया। अंजार नबी द्वारा फोटोग्राफी के माध्यम से प्राकृतिक सुंदरता को दिखाने पर चर्चा की गई। डॉ. प्रत्युष द्वारा सांपों के महत्व के बारे में भी बताया। इस कार्यशाला में फील्ड विजिट में भी राष्ट्रीय उद्यान के फील्ड स्टाॅफ, मैना मित्र, मगरमच्छ संरक्षक, कम्युनिटी इंटर्न, ईको-विकास समितियों के सदस्यों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।