भगवान नेमिनाथ का जीवन संयम और जीव दया की प्रेरणा देता है : मधु स्मिता

विचार करे हमारी श्रेणी शैतान, इंसान या भगवान की है : सुमित्रा

धमतरी। चातुर्मास के तहत इतवारी बाजार स्थित पाश्र्वनाथ जिनालय में प्रवचन जारी है। जिसके तहत मधु स्मिता ने कहा कि भगवान नेमिनाथ का जीवन भगवान बनने के पूर्व  सामान्य था। लेकिन उन्होने जीवन को सफल बनाने तप साधना व वैराग्य प्राप्ति के लिए कार्य कियेए कष्ट झेले यह विचार करें कि भगवान नेमिनाथ भगवान बनने से पहले क्या क्या छोड़ा है। नेमिनाथ का जीवन तब तेजस्वी बना देवता भी उनका वंदन करते है।

भगवान नेमिनाथ ने जीवन को संयमी बनाया और जीव दया की प्रेरणा दी। अनेक प्रलोभनों से स्वयं को हटाकर  अनेक परीक्षाओं से आगे बढ़े यदि संसार से निकलकर सयंम पाना चाहते है, आत्मीय सुख की प्राप्ति चाहते है तो भगवान नेमिनाथ का जीवन आदर्श है। ममत्व व समत्व सामान दिखाई देते है लेकिन एक अंधकार व दूसरा प्रकाश। ममत्व में किसी के प्रति राग, किसी के प्रति द्वेष की भावना आती है, लेकिन समत्व में सभी के प्रति राग उत्पन्न करता है। यदि समत्व है तो आत्मा मोक्ष का अधिकारी बन जाता है। संत किसी प्रकार के भाव के अहसास से परे होकर आत्म साधना में विलीन रहते है। 

जीवन में सुख दुख आते रहते है,लेकिन साधक दोनो परिस्तिथियों को सम्भालते है। सुमित्रा ने कहा कि चिंतन करे नेमिनाथ, भगवान बनने से पहले क्या क्या त्याग किया इसके चिंतन करे। विचार करे हमारी श्रेणी शैतान, इंसान या भगवान की है। शैतान श्रेणी सभी के लिए अभिशाप होता है इंसान स्वयं व दूसरे का भला कर सकता है। भगवान समस्त प्राणी के प्रति प्रेम भाव रखता है। संस्कार से निवृत्त होकर नेमिनाथ बन सकतें है। संसार  स्वार्थ से घृणित है इससे आगे बढ़े तो जीवन आनंदमयी व दार्शनीय बन सकता है। तेला में भावए मन शुद्ध होता तप,जाप से शारिरीक शुद्धता आती है। ध्यान रहे हममे  अहंकार न आ पाये। जाप साधना स्वध्याय करे मन को शुद्ध रखे। यह सब भगवान नेमिनाथ के जीवन से हम सीख सकते है।

प्रवचन उपरांत तेला की लाभार्थी किरणदेवी गोलछा का सम्मान संघ द्वारा किया गया। इसके पश्चात साध्वियों ने प्रवचन के संबधित प्रश्न पूछे एवं आज के लिए जीव दया का नियम दिया। प्रवचन का श्रवण करने बड़ी संख्या में जैन समाजजन उपस्थित रहे।

धनकेशरी मंगलभवन में सामूहिक एकासना का  हुआ आयोजन :
प्रवचन के उपरांत आज भगवान नेमिनाथ जन्मकल्याण महोत्सव के तहत दोपहर 12 बजे धनकेशरी मंगलभवन में सामूहिक एकासना भोजन का आयोजन किया गया। बता दे कि एकासना ग्रहण करने के पश्चात दिन भर समाजजन अन्य  अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। एक प्रकार से एकासना को तप माना जाता है। एकासना में सैकड़ो की संख्या में जैन समाज जन शामिल हुए।