यूनिसेफ में पोषण प्रमुख डॉ. अर्जन डी वाग्ट का कहना है कि आबादी के कारण यह संख्या देखने में कम लग सकती है, लेकिन पिछले साल दुनियाभर में मोटापे के कारण हुई बीमारियों से करीब 28 लाख लोगों ने जान गंवाई थी
दुनिया भर में बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह महामारी का रूप ले सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया में सिर्फ पांच वर्ष से कम उम्र के ही 3.8 करोड़ बच्चे मोटे हैं। जबकि भारत में अधिक वजन वाले 1.8 करोड़ से ज्यादा बच्चे हैं और इनकी संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भारत पहले ही वयस्कों में मोटापे को लेकर दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल है। 2016 में करीब 13.5 करोड़ भारतीय मोटापे से ग्रसित थे।
2.7 करोड़ बच्चे हो सकते हैं मोटे-
यूनिसेफ के वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस के अनुसार, भारत में 2030 तक 2.7 करोड़ से अधिक बच्चे मोटापे का शिकार हो सकते हैं, जिसका मतलब है कि विश्वस्तर पर हर दस में से एक बच्चा भारत से होगा। वहीं, अधिक वजन और मोटापे से होने वाला आर्थिक प्रभाव 2019 में 23 अरब डॉलर था, जिसके 2060 तक बढ़कर 479 अरब डॉलर होने की उम्मीद है।
दुनिया भर में 28 लाख मौतें-
वहीं, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में 2015-16 में पांच साल से कम उम्र के 2.1 फीसदी बच्चे मोटापे से ग्रसित थे, जबकि 2019-21 में 3.4 फीसदी बच्चे अधिक वजन वाले पाए गए। यूनिसेफ में पोषण प्रमुख डॉ. अर्जन डी वाग्ट का कहना है कि आबादी के कारण यह संख्या देखने में कम लग सकती है, लेकिन पिछले साल दुनियाभर में मोटापे के कारण हुई बीमारियों से करीब 28 लाख लोगों ने जान गंवाई थी।
पोषण संबंधी अज्ञानता भी बड़ी वजह-
कोरोना महामारी के केवल एक साल में ही बच्चों में मोटापा दो फीसदी तक बढ़ गया। इसका कारण पूरे दिन घर में रहना है। डी वाग्ट का कहना है कि मोटापा बढ़ने का कारण कहीं न कहीं पोषण संबंधी निरक्षरता है। अगर बच्चों को संतुलित भोजन दिया जाए, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, फल और सब्जियां शामिल हों, तो यह कुपोषण और अतिपोषण दोनों को रोकेगा। लेकिन लोग नहीं जानते कि अच्छा भोजन क्या है, वे अपना पेट भरने के लिए खाते हैं।
सौमिल मजूमदार( सह-संस्थापक और सीईओ, युवा खेल संगठन स्पोर्ट्ज विलेज) कहते हैं कि एक देश के रूप में हम शारीरिक फिटनेस में निवेश नहीं करते हैं। हमारे शहरों में कोई फुटपाथ नहीं है, कोई सुरक्षित साइकिल ट्रैक नहीं है। सिर्फ कुछ खेल के मैदान हैं। 2,54,000 से अधिक बच्चों पर किए सर्वेक्षण से पता चला है कि दो बच्चों में से एक का स्वस्थ बीएमआई नहीं था।
बच्चों में मोटापे का कारण-
1. बच्चे शरीरिक गतिविधियों से दूर रहते हैं।
2. देर से सोते हैं और अक्सर देर रात खाना खाते हैं।
3. ज्यादातर बच्चे जंकफूड का सेवन करते हैं।
4. अधिकतर समय फोन या कम्प्यूटर चलाने में बिताते हैं।
ऐसे करें बच्चों का मोटापे से बचाव-
मोटापे से निपटने के लिए तैयारियों के मामले में 183 देशों की सूची में भारत 99 वें स्थान पर है।
1. बच्चों को पौष्टिक और संतुलित आहार देना जरूरी है।
2. बच्चों को जंक फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूर रखें।
3. शारीरिक गतिविधियों को जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।
4. अनावश्यक चीजों के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने से रोकें।
5. बच्चों को समय पर सोने और उठने की आदत डलवाएं।
6. सकारात्मक और अच्छे रिश्ते बनाने की सीख दें।
डॉ. अर्जन (डी वाग्ट, पोषण प्रमुख, यूनिसेफ) कहते हैं कि ‘हम भारत में बच्चों के मोटापे को एक बड़ी समस्या के रूप में देख रहे हैं। मोटे बच्चे बड़े होकर मोटे वयस्क बन जाते हैं और यह स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। शरीर में बहुत अधिक वसा गैर-संचारी रोगों (टाइप-2 डायबिटीज, दिमाग, किडनी, हड्डी, लिवर की बीमारियां, कैंसर और विकलांगता) के जोखिम को बढ़ाता है, जिससे समय से पहले मृत्यु होने का खतरा बना रहता है’।
डॉ. रवींद्रन कुमेरन (संस्थापक, ओबेसिटी फाउंडेशन ऑफ इंडिया ) कहते हैं कि ‘जब तक हम अब बच्चों के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, हम देश में मोटापे की समस्या का समाधान नहीं कर पाएंगे। यदि आप अभी आधे घंटे के लिए टीवी देखते हैं, तो आप जंक फूड और शीतल पेय के कई विज्ञापन देखेंगे, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। सरकार को ऐसे विज्ञापनों को बंद करना चाहिए’।
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