महंगाई कम करने केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल में लगने वाले टैक्स में की कटौती

नई दिल्ली। पेट्रोल डीजल के बेतहाशा मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पेट्रोल डीजल पर लगने वाले टैक्स में कटौती कर महंगाई से परेशान देश की जनता को बड़ी राहत दी है। केंद्र की मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दाम घटने से पेट्रोल, डीज़ल, जेट ईंधन, कच्चे तेल पर लगने वाले विंडफॉल टैक्स में कटौती की अधिसूचना जारी कर दी है। सरकारी अधिसूचना के अनुसार,मोदी सरकार ने डीजल और विमानन ईंधन शिपमेंट पर 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की है। गैसोलीन निर्यात पर 6 रुपये प्रति लीटर की पूरी तरह से छूट दी। इसने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर टैक्स में भी लगभग 27% से 17,000 रुपये प्रति टन की कटौती की।

भारत ने 1 जुलाई को टैक्स लगाया

ऊर्जा कंपनियों के तेजी से बढ़ते मुनाफे को टैप करने के लिए अप्रत्याशित शुल्क लगाने वाले देशों की बढ़ती संख्या में शामिल हो गया, लेकिन तब से अंतरराष्ट्रीय ईंधन की कीमतें कम हो गई हैं, जिससे तेल उत्पादकों और रिफाइनर दोनों के लाभ मार्जिन में कमी आई है।

विंडफॉल टैक्स के बारे में

विंडफॉल टैक्स ऐसी कंपनियों पर लगाया जाता है, जिन्हें किसी खास तरह के हालात से फायदा होता है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में काफी तेजी आई थी। इससे तेल कंपनियों को काफी फायदा मिला था, लेकिन दुनिया में मंदी की आशंका के चलते हाल में कच्चे तेल 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है। इस वजह से सरकार ने विंडफॉल टैक्स में कटौती की है। अब कंपनियों को डीजल और एटीएफ के एक्सपोर्ट के लिए 11 रुपये का अतिरिक्‍त टैक्‍स चुकाना होगा। वहीं, पेट्रोल के निर्यात पर लगे छह रुपये प्रति लीटर के टैक्‍स को पूरी तरह खत्‍म कर दिया गया है।
संभावित वैश्विक मंदी की चिंताओं के कारण जून के मध्य से अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है,। एशिया में गैसोलीन और डीजल के प्रसंस्करण से होने वाले रिटर्न में हाल के हफ्तों में गिरावट आई है, उद्योग सलाहकार एफजीई ने आपूर्ति में वृद्धि के कारण इस तिमाही में मार्जिन में और गिरावट की उम्मीद की है। एफजीई के अनुसार, रिलायंस और रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी लिमिटेड, भारत की एकमात्र निजी स्वामित्व वाली रिफाइनर, भारत के कुल गैसोलीन और डीजल निर्यात का 80% से 85% हिस्सा बनाती है।

पेट्रोलियम उत्पादों पर वर्ष 2021-22 में 4.31 लाख करोड़ का कर राजस्व मिला

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार को 4.31 लाख करोड़ रुपये का कर राजस्व मिला। मध्य प्रदेश में नीमच के सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने केंद्र के दो विभागों से पेट्रोलियम उत्पादों पर वसूले गए शुल्क के बारे में जानकारी मांगी थी।

गौड़ ने कहा कि भारत में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर 50,902.43 करोड़ रुपये का सीमा शुल्क वसूला गया। इस दौरान देश के भीतर पेट्रोलियम उत्पादों के विनिर्माण पर लागू केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 3,80,113.47 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए।


केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दाम घटने से पेट्रोल, डीज़ल, जेट ईंधन, कच्चे तेल पर लगने वाले विंडफॉल टैक्स में कटौती की अधिसूचना जारी कर दी है। सरकारी अधिसूचना के अनुसार,मोदी सरकार ने डीजल और विमानन ईंधन शिपमेंट पर 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की है। गैसोलीन निर्यात पर 6 रुपये प्रति लीटर की पूरी तरह से छूट दी।

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