समय का उपयोग विभिन्न स्किल्स को विकसित करने में करें – डॉ. संजय गुप्ता

0 21वीं सदी स्किल्स की सदी आप अपना मूल्य समझे -डॉ. संजय गुप्ता ।


कोरबा,15 जुलाई (वेदांत समाचार)। इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी स्किल्स की सदी है और बेशक हमारे हो और संचार क्रांति का बोलबाला है आज एक क्लिक में पूरा विश्व हमारे सम्मुख जीवंत प्रस्तुत हो जाता है संचार क्रांति अर्थात इंटरनेट ने पूरे विश्व को विश्व को हमारे सम्मुख जीवंत प्रस्तुत हो जाता है संचार क्रांति अर्थात इंटरनेट ने पूरे विश्व की दूरी को समाप्त कर दिया है लेकिन यदि हम इस वरदान अर्थात सूचना और प्रौद्योगिकी का सदुपयोग अपने स्किल्स को विकसित करने व निखारने में नहीं करेंगे तो शायद दुनिया की भीड़ में हम खो जाएंगे यदि हमें अपनी विशेष पहचान या आइडेंटिटी बनानी है तो हमें अपने अंदर किसी स्किल्स को डेवलप करना ही होगा क्योंकि इस तेजी से बदलती दुनिया में स्किल्स की आवश्यकता व मूल्य सदा ही रहेगी।


विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप अपनी छुट्टियों के समय का उपयोग अपने हुनर कौशल और क्षमताओं को तरासते हुए एक नए भविष्य के निर्माण में कर सकते हैं अभी इस विशेष एवं विषम समय में आप अपनी दिनचर्या की शुरुआत हल्के शारीरिक व्यायाम ध्यान एवं योग से करें आप स्ट्रैचिंग एवं जॉइंट मोमेंट के बाद कुल समय अपना ध्यान स्वस्थ एवं विचारों के प्रवाह पर हो जाए डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि ध्यान के इसी क्रम में हमें अपनी स्मृतियों को ताजा करते करते हुए मां-बाप ईश्वर और गुरुजनों का मन ही मन शुक्रिया अदा करना चाहिए यदि हम यह रोजाना अपनी दैनिक क्रियाकलाप में शामिल करें तो इसका बहुत ही सकारात्मक प्रभाव हमें देखने को मिलेगा यह प्रक्रिया ना सिर्फ हमें शारीरिक और मानसिक रूप से आनंदित करेगी अपितु हमारी एकरूपता रचनात्मकता अनुशासन शीलता धैर्य एवं स्मरण शक्ति भी बढ़ेगी इससे हमारा तनाव गुस्सा एवं चिड़चिड़ापन भी दूर होगा और हम अच्छा महसूस करेंगे डॉ संजय गुप्ता ने विद्यार्थियों को निर्देशित करते हुए कहा कि हम अवकाश के अमूल्य अवसर में अनेक घरेलू कार्यों में अपने परिवारिक सदस्यों की मदद कर सकते हैं जिससे हमें स्वावलंबन का महत्व समझेंगे और घरों में हाउसकीपिंग करने वाले कर्मचारियों को सम्मान की दृष्टि से देखेंगे हम इस स्वर्णिम समय में विभिन्न कलाओं और आदतों का विकास कर सकते हैं जैसे कमरे की सफाई, बेडिंग क्लीनिंग इत्यादि कपड़ों कॊ धोने प्रेस करने जूते पॉलिश करने कापी किताबों की डस्टिंग इत्यादि का कार्य भी हम स्वयं कर सकते हैं इससे हमें मेहनत व श्रम का मूल्य समझ आएगा और हम मानसिक रूप से संतुष्ट होंगे ।


डॉ. संजय गुप्ता ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी माता-पिता के साथ किचन में भी सहयोग करना चाहिए साथ ही विभिन्न कलाओं को सीख कर डाइनिंग में स्वयं के द्वारा बनाए गए व्यंजनों को सर्व करना चाहिए इससे ना सिर्फ उनमें एक नई ऊर्जा और उत्साह का सृजन होगा अपितु माता-पिता सहित परिवार के अन्य सदस्यों के मध्य आत्मा का संचार होगा इससे विद्यार्थियों के समय का सदुपयोग होगा और उनकी रचनात्मक और प्रयोगशीलता बढ़ेगी इससे श्रम की कीमत और सम्मान दोनों का महत्व समझेंगे विद्यार्थी प्रयोग की व संचार का बेहतर उपयोग करते हुए क्लासेस के माध्यम से म्यूजिक, योगा, डांस, ड्रामा, वादन, गायन, भाषण, थिएटर, ड्रेस डिजाइन, इंटीरियर डिजाइनिंग कोर्स ज्वाइन करके अपनी अनुरूप अपने स्किल्स को निखार सकते हैं |


इंडस पब्लिक स्कूल दीपका द्वारा 15 मई वर्ल्ड यूथ स्कील्स डे पर डांस, योगा, म्यूजिक, लैग्वेंज डेवलपमेंट क्लासेस, साइंस प्रोजेक्ट द्वारा दी बच्चों ने बेहतरीन प्रस्तुति दी । बच्चों ने बढ़चढ़कर भाग लिए, जिसमें सभी बच्चों का अच्छा प्रदर्शन रहा ।
विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थी अपनी रचनात्मकता का प्रयोग करते हुए नए-नए गीतों एवं एल्बम एवं डायलॉग का भी का भी उपयोग करते हुए सृजन कर सकते हैं विद्यार्थी अपनी साहित्यिक प्रतिभा को तरासते हुए कविताएं कहानियां नाटक उपन्यास संस्मरण डायरी चुटकुले भाषण एवं गीत का सृजन करें | गतिविधियां विद्यार्थियों की रचनात्मक संवेदनशीलता सहनशीलता एवं मैनुअल जैसे शील गुणों का विकास करेगी और उनमें हिंसा तनाव और डिप्रेशन तथा कुंठा को दूर करेगी डॉ संजय गुप्ता ने आज की परिस्थितियों में यदि बच्चे पढ़ाई में अव्वल होने के साथ ही साथ साहित्यकार कलाकार एवं शिल्पकार भी होंगे तो शिक्षा का उद्देश्य शत-प्रतिशत पूर्ण होगा आज वह समय नहीं रहा जब विद्यार्थी रटकर पूरा अंक अर्जित करता था अब नंबरों का स्थान स्किल्स ने ले लिया है आज विश्व की सारी कंपनियां एवं ऑर्गनाइजेशन इनोवेर्टर्स, क्रिएटर्स, कौलेबोरेटर्स , कम्युनिकेटर्स, थिंकर्स, एनालाइजर, लीडर्स एवं सोशल स्किल्स रखने वाले वर्कर्स की तलाश कर रही है।
डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि अभिभावक व शिक्षक इन समय में विद्यार्थियों में विभिन्न कला एवं कौशलों का विकास करें माता-पिता अपने बच्चों का ऐसी गतिविधियों में शामिल करें जिससे उनमें कम्युनिकेशन स्किल, लीडरशिप एवं टीम भावना का विकास हो अभिभावक अपने घरों में ही मिनी संसद, न्यायालय, प्रेस कॉन्फ्रेंस, पंचायत चौपाल क्लासरूम, अस्पताल, डाकघर, फैक्ट्री, मार्केट सेल्स एवं बाजार इत्यादि से संबंधित सीन क्रिएट करें एवं बच्चों के साथ रोल प्ले करें ।


डॉ. संजय गुप्ता ने विद्यार्थियों एवं अभिभावकों से आग्रह किया कि अवकाश के स्वर्णिम पलों का उपयोग कर अवश्य कोई ना कोई इनोवेशन का अविष्कार करें ।
21वीं सदी नहीं आने वाली प्रत्येक सभी मैं सिर्फ और सिर्फ स्किल पर निर्भर करने वाले व्यक्तित्व का ही भविष्य उज्जवल होगा अतः हमें पढ़ी गई प्रत्येक ज्ञान का अपने जीवन में क्रियात्मक व प्रयोगात्मक क्रियान्वयन करना होगा हमें पढ़ना समझ ना करना और साबित करना होगा हमें अपनी रुचि कौशल व क्षमताओं को पहचानना होगा।

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