Sawan Prasad Recipe: सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ऐसे बनाएं पंचामृत, नोट करें रेसिपी

Sawan Prasad Recipe: भगवान शंकर की पूजा के दौरान शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाया जाता है। इतना ही नहीं इस पंचामृत को प्रसाद के रूप में भी लोगों के बीच बांटा जाता है। पंचामृत का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से

Sawan Panchamrit Prasad Recipe: सावन का महीना शुरू हो चुका है। ऐसे में भोलेबाबा के भक्त उन्हें मनाने के लिए इस पूरे माह अराधना में लगे रहते हैं। भगवान शंकर की पूजा के दौरान शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाया जाता है। इतना ही नहीं इस पंचामृत को प्रसाद के रूप में भी लोगों के बीच बांटा जाता है। पंचामृत का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं है बल्कि इसका सेवन करने से व्यक्ति को सेहत से जुड़े कई लाभ भी मिलते हैं। ऐसे में बिना देर किए जानते हैं कैसे बनाया जाता है पंचामृत। 

पंचामृत का महत्व-
पंचामृत में पांच चीजों को शामिल किया जाता है, जिनका सेहत और धार्मिक दृष्टि से अपना एक खास महत्व है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो दूध शुद्ध और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है। तो वहीं घी शक्ति और जीत के लिए है। शहद मधुमक्खियां पैदा करती है इसलिए ये समर्पण और एकाग्रता का प्रतीक है। चीनी मिठास और आंनद तो दही समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। बात अगर सेहत की करें तो इसका सेवन करने से व्यक्ति को अनेक तरह के लाभ भी मिलते हैं। आइए जानते हैं क्या है पंचामृत बनाने का सही तरीका और इसका सेवन करने से सेहत को मिलने वाले फायदे के बारे में।  

पंचामृत बनाने के लिए सामग्री- 
-गाय का दूध- 1 गिलास 
-गाय का दही- 1 गिलास 
-गाय का घी- 1 चम्मच
-शहद- 3 चम्मच
-मिश्री अथवा शक्कर- स्वादानुसार
-कटे हुए तुलसी के पत्ते- 10
-कटे हुए मखाने- ड्राई फ्रूट्स – 20

पंचामृत बनाने की विधि- 
पंचामृत बनाने के लिए सबसे पहले दही, दूध, एक चम्मच शहद, घी और चीनी को एक बर्तन में डालकर अच्छी तरह मथ लें। आप चाहे तो इन सब चीजों को मिक्सी में डालकर भी चला सकती हैं।
इसके बाद इसमें तुलसी के 8 से 10 पत्ते डालने के बाद कटे हुए मखाने और ड्राई फ्रूट्स मिलाएं। भोलेबाबा को भोग लगाने के लिए आपका पंचामृत बनकर तैयार हो चुका है।  

पंचामृत के फायदे-
1-यह पित्त दोष को बैंलेस करता है।आयुर्वेद के अनुसार इसका सेवन करने से पित्त दोष को संतुलित रखने में मदद मिलती है।
2-पंचामृत इम्यून सिस्टम में सुधार करता है
3-यादाश्त को बढ़ाता है और रचनात्मक क्षमताओं को बढ़ावा देता है।
4-यह स्कीन के लिए भी काफी फायदेमंद हैं।
5-बालों को स्वस्थ रखता है।
6- आयुर्वेद की मानें तो अगर प्रेग्नेंसी के दौरान इसका सेवन किया जाए तो यह मां और भ्रूण दोनों स्वस्थ रहते हैं।