हिमाचल प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल भर्ती की लिखित परीक्षा के पेपर लीक मामले में एक और खुलासा हुआ है। गिरफ्तार दो दलालों और अभ्यर्थियों के मोबाइल फोन कॉल डिटेल और बैंक खाते खंगालने पर पता चला है कि 50 हजार से लेकर आठ लाख रुपये तक में प्रश्नपत्रों की खरीद-फरोख्त हुई थी। अभ्यर्थियों को प्रश्नपत्र रटने के लिए दिए गए थे। इस तरह के पुख्ता सुबूत विशेष जांच टीम (एसआईटी) के हाथ लगे हैं।
पुलिस ने दावा किया है कि एक सप्ताह के भीतर इस पूरे घटनाक्रम से पर्दा उठ जाएगा। इस मामले में ऊना, हमीरपुर, मंडी, कांगड़ा सहित अन्य जिलों में करीब 400 परीक्षार्थियों से पूछताछ की जा चुकी है, जबकि अब तक 16 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। पेपर लीक मामले के तार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से भी जुड़ रहे हैं। गिरफ्तार किए गए अभ्यर्थियों और उनके परिजनों के बैंक खाते खंगालने पर पता चला कि उन्होंने अपने खातों से परीक्षा के चार-पांच दिन के बीच 50 हजार से लेकर 8 लाख रुपये तक निकाले हैं।
बंजार से एक व्यक्ति गिरफ्तार, दलाली का आरोप
वहीं, पेपर लीक मामले में जिला कुल्लू पुलिस की टीम ने शनिवार को बंजार से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपी ठाकुर दास निवासी शिल्ह बंजार पर प्रश्नपत्रों की खरीद-फरोख्त में दलाली करने का आरोप है। वहीं, जिला पुलिस ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की अगवाई में एक टीम का गठन किया है जो परीक्षा में सबसे अधिक अंक लेने वाले अभ्यर्थियों से पूछताछ कर रही है।
पिछले चार-पांच दिनों से ऐसे 25 अभ्यर्थियों से पूछताछ की जा चुकी है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुल्लू गुरदेव शर्मा ने बताया कि शनिवार को गिरफ्तार आरोपी को कुल्लू की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। अभी और लोगों से भी पूछताछ चल रही है।
प्रश्नपत्रों की छपाई पर परीक्षा से दो दिन पहले लिया जाएगा फैसला
पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के बाद अब हर कदम फूंक-फूंक कर रखा जा रहा है। इस परीक्षा को रद्द करने के बाद दोबारा परीक्षा लेने की तैयारियां तेज हो गई हैं। 15 जून तक यह परीक्षा होगी। प्रश्नपत्रों की छपाई कहां होगी, इसका फैसला परीक्षा से दो दिन पूर्व लिया जाएगा। परीक्षा को लेकर सचिवालय में रोजाना गुप्त बैठकें हो रही हैं। सूचनाएं लीक न हों, इसके चलते बैठकों में दो से तीन अधिकारियों को ही शामिल किया जा रहा है।
बैठकों में सिटिंग प्लान, सिक्योरिटी, ड्रोन से परीक्षार्थियों पर नजर रखने, कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने आदि पर मंथन किया गया है। बताया जा रहा है कि परीक्षा केंद्रों में जिन अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगेगी, उन्हें पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा।
पेपर लीक मामले में अब तक जिन परीक्षार्थियों को पुलिस ने पूछताछ में शामिल किया है, उन्हें दोबारा परीक्षा में बैठाने पर अभी फैसला लिया जाना है। उल्लेखनीय है कि पेपर लीक मामले में अब तक 16 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जा चुका है। पेपर लीक मामले की 26 मई को हाईकोर्ट में भी सुनवाई हो सकती है।
पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच हो : चौहान
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष नरेश चौहान ने कहा कि पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले की जांच किसी जज या सीबीआई से करवाई जाए। यह पुलिस भर्ती का ही मामला है और एसआईटी भी पुलिस की है। इसलिए इस जांच का कोई मतलब नहीं रह जाता है।
प्रदेश के डीजीपी को पद से हटाया जाए। मुख्यमंत्री की क्या मजबूरी है जो डीपीपी संजय कुंडू को बचाना चाह रहे हैं। सरकार संदिग्ध लोगों को तुरंत गिरफ्तार करे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा प्रदेश में मुद्दों को भटकाने का प्रयास कर रहे हैं।
नड्डा ने पेपर लीक मामले में एक शब्द तक नहीं कहा और मुख्यमंत्री की पीठ थपथपाने में लगे हैं। प्रेस सम्मेलन में नरेश चौहान ने कहा कि प्रदेश में माफिया का राज चल रहा है। मीडिया के अनुसार आरोप है कि पुलिस परीक्षा का पेपर तीन से आठ लाख रुपये में बिका है। इसमें करोड़ों का लेन-देन हुआ है।
सरकार इसमें शामिल लोगों को बचाने का प्रयास कर रही है। चौहान ने कहा कि सरकार अपनी जवाबदेही से बच रही है। मुख्यमंत्री दबाव में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने पूछा कि वह बताएं कि उन्हें क्या डर सता रहा है। प्रधानमंत्री से लेकर शाह और नड्डा सभी भाजपा नेता पिछले सात सालों से कांग्रेस को कोसने में ही लगे हैं।
पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए: विक्रमादित्य
विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिमाचल पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। उनका कहना है कि पेपर लीक मामले की जांच विशेष अन्वेषण टीम को सौंपना गलत है।
पुलिस से जुड़े मामले की जांच एसआईटी से कराने से जांच प्रभावित हो सकती है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि इस कारण से इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से सही स्थिति सामने आ सकती है। तभी जाकर दोषी अफसरों और लोगों को पकड़ा जा सकता है।
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