भाजपा में अब उठने लगी आदिवासी नेतृत्व की मांग, सोशल मीडिया पर बीजेपी कार्यकर्ता कर रहे इस तरह के पोस्‍ट 

रायपुर। भाजपा में अब मजबूत आदिवासी नेता को प्रदेश की कमान सौंपने की मांग उठने लगी है।सोशल मीडिया पर कार्यकर्ता जिस तरह से खुलकर अपनी बात रख रहे हैं, उससे पता चल रहा है कि प्रदेश में 15 साल की सत्ता गंवाने के तीन साल बाद भी वर्तमान नेतृत्व के प्रति नाराजगी है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि वर्तमान भाजपा नेतृत्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के काम और आक्रामक शैली से निपटने में कारगर नहीं है। केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस बात को माना है कि भाजपा को जनता दरबार में कांग्रेस का विकल्प बनना होगा। इसके लिए आक्रामकता को बढ़ाने की जरूरत है।

प्रदेश में सत्ता जाने के बाद आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई। शांत और सौम्य नेता के रूप में पहचाने जाने वाले साय को पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की पसंद के रूप में देखा जाता है। भाजपा की प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी ने पांचों संभाग के नेताओं के साथ समीक्षा की। इसके बाद पूर्व आइएएस और प्रदेश मंत्री ओपी चौधरी ने प्रदेश प्रभारी की बैठक की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट की। इसमें कार्यकर्ता वर्तमान प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं। पोस्ट में लिखा है, अब भी भाजपा की कमान परदेसिया के हाथ में है। जब तक प्रदेश संगठन परदेसिया से मुक्त नहीं होगा, भाजपा सत्ता में नहीं आ सकती।

ऐसा नहीं है कि इस तरह की पोस्ट पहली बार भाजपा के किसी नेता के इंटरनेट प्रोफाइल पर पोस्ट की गई है। प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी से लेकर सहप्रभारी नितिन नबीन और राष्ट्रीय संगठन के इंटरनेट अकाउंट पर ऐसी पोस्ट कार्यकर्ता करते रहते हैं। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो एक कार्यकर्ता ने प्रदेश प्रभारी को कार्यकर्ताओं की बात सुनने के लिए जमीन पर उतरने तक की सलाह दी थी। उसके बाद ही पुरंदेश्वरी और नितिन बस्तर और सरगुजा के दौरे पर निकले।

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